हेमंत सरकार आदिवासियों को करना चाहती है जमीन से बेदखल : बाबूलाल


रांची: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को कांके के नगडी में आदिवासी किसान रैयतों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को जाना। यहां के आदिवासी रैयत और किसान अपनी उपजाऊ खेतिहर जमीन पर निर्माण परियोजनाओं का विरोध कर रहे है। बाबूलाल मरांडी ने इस निर्माण कार्य को झारखंड के विकास की आड़ में विनाश करार दिया है और कहा कि यहां जो लोग वर्षों से खेती-बाड़ी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं, उन्हें आखिर क्यों उजाड़ा जा रहा है? इन किसानों ने कौन सा अपराध किया है, जो उनकी उपजाऊ जमीन छीनी जा रही है?

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यदि अस्पताल ही बनाना चाहती है, तो रांची के चारों ओर बंजर भूमि की कोई कमी नहीं है। अगर उन्हें नहीं मिल रही है, तो हम खोजने को तैयार हैं। इस क्षेत्र में एक ओर 202 एकड़, दूसरी ओर 25 एकड़ ज़मीन है। सरकार को सोचना चाहिए कि क्या ये सही निर्णय है? उपजाऊ जमीन को बर्बाद करके अस्पताल बनाएंगे, तो ये विकास नहीं, झारखंड का विनाश है। मुख्यमंत्री से मेरी अपील है कि वे एक बार यहां आकर देखें कि वास्तव में क्या हो रहा है।

नेता प्रतिपक्ष ने याद दिलाया कि इससे पहले भी लॉ यूनिवर्सिटी के निर्माण के समय ऐसे ही खेती की ज़मीन ली गई थी और तब भी स्थानीय लोग विरोध में धरने पर बैठे थे। उन्होंने कहा कि मैं पहले भी इस जमीन पर आ चुका हूं, लेकिन तब स्पष्ट नहीं था कि कौन सी जगह छोड़ी गई है। अब स्पष्ट दिख रहा है कि सरकार की वक्र दृष्टि फिर से इस ज़मीन पर पड़ गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि सरकार को विकास के नाम पर आदिवासी किसानों की आजीविका नहीं छीननी चाहिए। झारखंड की आत्मा उसकी मिट्टी, खेत और किसान हैं और इनके विनाश से राज्य का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। मरांडी ने इस पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए इसे आदिवासी अधिकारों का सीधा उल्लंघन बताया है।

नेता प्रतिपक्ष ने नगड़ी के रैयतों से मुलाकात कर उनकी पीड़ा को न केवल सुना, बल्कि सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हेमंत सरकार आदिवासियों के खेतिहर जमीन से बेदखल करना चाहती है, आदिवासी के पास जीविकोपार्जन चलाने के लिए अपनी खेती बाड़ी के अलावा और कोई साधन नहीं है। ग्रामसभा की अनुमति के बिना किसी की भी जमीन को अधिग्रहण करना गैरकानूनी है। संविधान के अनुसार आदिवासियों को उनकी जमीन पर अधिकार है और भाजपा उनके साथ खड़ी है। पुलिस बल लगाकर आदिवासियों की ज़मीन छीनने की इजाज़त किसी को नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि यह सरकार झारखंड को बेचने पर तुली हुई है।

मरांडी ने कहा कि नगड़ी के रैयतों की ज़मीन पहले कभी एक्वायर नहीं हुई थी और न ही कोई कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई है।ग्रामीणों ने ज़मीन अधिग्रहण की पूरी फाइल दिखाई है। उसमें न कोई अधिसूचना, न मुआवज़ा, न ग्रामसभा की सहमति। ये सब लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। भाजपा यह अन्याय नहीं होने देगी। भाजपा पूरे मामले को विधानसभा से लेकर सड़क तक उठाएगी। अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएगी। हेमंत सरकार के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ जनांदोलन होगा। इस मौके पर अशोक बड़ाईक, बाल्कू उरांव, सहित गांव के सैकड़ो आदिवासी रैयत उपस्थित थे।

Post a Comment

Previous Post Next Post