पटना: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने शनिवार को बीआईए सभागार पटना में विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद स्मृति कार्यक्रम में कहा कि भारत के लोग संवाद की शक्ति में विश्वास रखते हैं। लेकिन जिनके लिए संवाद की शक्ति अर्थहीन है, उनके लिए शक्ति के संवाद की आवश्यकता है और इसे भी करने में भारतीय पूरी तरह सक्षम हैं। इसी बात को हमारे ऋषियों ने हजारों साल पहले 'अग्रतः सकलं शास्त्रं, पृष्ठतः सशरं धनु ..' के रूप में स्थापित किया था। इसका अर्थ यह भी हुआ कि शांति को अपना परम धर्म मानते हैं परन्तु हम कायर नहीं हैं।
'राष्ट्रीय अस्मिता और समकालीन चुनौतियां' विषयक संगोष्ठी के बतौर मुख्य वक्ता राज्यपाल ने 'तप: स्वाध्याय निरतं तपस्वी वाग्विदां वरम्' का उल्लेख करते हुए स्वामी रंगनाथ का जिक्र किया और कहा कि ज्ञान को अर्जित करने के बाद उसे समाज में वितरित और विस्तारित करना ही मां सरस्वती के प्रति सच्ची श्रद्धा है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि बीच के कालखंड में अपने लोगों के बीच अर्जित ज्ञान का वितरण बंद कर दिया था, इस कारण बाहरी आक्रमणकारियों द्वारा शासित होना पड़ा। हालांकि, विगत कुछ वर्षों से हमलोग अपनी मौलिक चीजों को पुनः स्थापित करने को लेकर प्रयासरत हैं। स्वामी विवेकानंद का मानना था कि हमारे ज्ञान का उद्देश्य सुख की प्राप्ति नहीं बल्कि अपने अंदर यह क्षमता विकसित करना है कि हमारे आसपास व्याप्त विविधताओं और विभिन्नताओं के पीछे छिपे एकात्मक भाव को देख सकें। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की पुस्तक 'कोलंबो से अल्मोड़ा तक' का अध्ययन करने की सलाह भी दी।
राज्यपाल ने कहा कि पांच बड़ी सभ्यताओं ईरान, चीन, रोम, तुर्क व भारत में से केवल भारतीय सभ्यता की पहचान ज्ञान के कारण पूरी दुनिया में रही है। भारतीय मनीषा स्वयं की प्रशंसा को आत्महत्या मानती है। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर को उद्धृत करते हुए कहा कि भारत की आत्मा उसके जीवंत शब्दों में निहित है।
राजपाल ने बिहार के विश्वविद्यालय में व्याप्त हिंसात्मक गतिविधि को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसको लेकर वे चिंतित और गंभीर हैं। विश्वविद्यालय ज्ञान का मंदिर है, उसे किसी भी कीमत पर बमबाजी के स्थान के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि भारत के लोग संतुलन में विश्वास रखते हैं। हम दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों प्रकार की उन्नति में विश्वास रखते हैं। आज दुनिया जिस समस्या को लेकर चिंतित है, उसका चिंतन हमारे ऋषि मुनियों ने वर्षों पहले कर लिया था। उसी का परिणाम है कि पेड़ पौधों को पानी, पशु पक्षियों को दाना देने को हम धार्मिक कृत्य मानते हैं।
राज्यपाल के संबोधन से पूर्व वार्षिक परंपरा का निर्वहन करते हुए विश्व संवाद केंद्र न्यास द्वारा बिहार के तीन पत्रकारों को सम्मानित किया गया। जीवन भर की पत्रकारीय उपलब्धि के लिए दिया जाने वाला 'डॉ राजेंद्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान' इस वर्ष वरिष्ठ पत्रकार अनिल विभाकर को प्रदान किया गया। उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए दिया जाने वाला 'पं. केशवराम भट्ट पत्रकारिता सम्मान' नवादा के पत्रकार विशाल कुमार को प्रदान किया गया तथा रचनात्मक पत्रकारिता के लिए दिया जाने वाला सम्मान 'बाबूराव पटेल रचनाधर्मिता सम्मान' प्रसिद्ध छाया-पत्रकार सचिन कुमार को प्रदान किया गया। इस दौरान विश्व संवाद केंद्र की वार्षिक स्मारिका 'प्रत्यंचा' का भी विमोचन हुआ। मंच संचालन विश्व संवाद केंद्र के संपादक संजीव कुमार ने किया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन न्यास के सचिव डॉ. संजीव चौरसिया ने किया।
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