मगध विश्वविद्यालय बोधगया में दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन कुलपति प्रो.एस.पी.शाही की अध्यक्षता में सम्पन्न

शिक्षा को आमजनों की पहुँच तक लाना आज सबसे बड़ी आवश्यकता:जीतनराम मांझी

पटना/गया:मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के समाजशास्त्र विभाग में दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का भव्य शुभारंभ हुआ। “शिक्षा, विकास और सामाजिक परिवर्तन: चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ” विषय पर केंद्रित इस आयोजन का आयोजन इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी, बिहार सोशियोलॉजिकल सोसाइटी और मगध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

इस प्रतिष्ठित अधिवेशन का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री बिहार एवं गया के सांसद जीतनराम मांझी थे।अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता के बाद देश में अनेक सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, किंतु आज भी समाज के वंचित वर्गों को शिक्षा के समान अवसर नहीं मिल पाए हैं। शिक्षा को आमजन की पहुँच में लाना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।” 

विशिष्ट अतिथि के रूप में जेएनयू के प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो आनंद कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा, “हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस स्वराज, लोकतंत्र और समावेशी विकास का सपना देखा था,अब समय आ गया है कि हम आत्ममंथन करें कि क्या हम उस राह पर सही दिशा में बढ़ रहे हैं।” उन्होंने समाजशास्त्रीय संवाद के ऐसे मंचों को सामाजिक विमर्श के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।

इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी की अध्यक्ष एवं जेएनयू की पूर्व प्रोफेसर प्रो. मैत्री चौधरी ने कहा, “बिहार सोशियोलॉजिकल सोसाइटी का यह दूसरा अधिवेशन समाजशास्त्रियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इस मंच से बिहार की जमीनी सामाजिक समस्याओं पर गहन चर्चा संभव है।” उन्होंने शिक्षा के बढ़ते निजीकरण और इससे उत्पन्न सामाजिक विषमता पर भी चिंता जताई। बिहार सोशियोलॉजिकल सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. बीरेंद्र कुमार ने संगठन की स्थापना,उद्देश्यों और भविष्य की कार्य योजनाओं की जानकारी दी।

 सचिव प्रो. श्वेता प्रसाद,उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार,डॉ एमडीअकरम (सचिव), डॉ संगीत कुमार (कोषाध्यक्ष) और आयोजन संयोजक व विभागाध्यक्ष प्रो दीपक कुमार ने अधिवेशन को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।इस अवसर पर बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया के प्रो अनिल झा, डॉ संपिका मोहपात्रा, डॉ जितेन्द्र राम, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की प्रो. हीना तबस्सुम, डॉ वीणा कुमारी सहित

राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों, शोधार्थियों और समाजशास्त्र के विद्यार्थियों की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की। यह दो दिवसीय अधिवेशन शिक्षा, विकास और सामाजिक परिवर्तन के अंतर्संबंधों पर आधारित समसामयिक मुद्दों, नीतियों और सामाजिक संरचनाओं पर विमर्श करेगा, जिससे समाजशास्त्रीय सोच को नई दिशा मिलने की आशा है।





Post a Comment

Previous Post Next Post