भागलपुर: आज बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘डॉक्टर बेटियां’ सिनेमाघरों में रिलीज की गई। यह फिल्म दर्शकों के दिलों को छू गई, और लोग भावुक होकर हॉल से बाहर आते दिखे।
फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने अपनी भावनाएँ साझा कीं। आशीष मंडल ने कहा, "यह फिल्म पिता और बेटी के रिश्ते को इतनी खूबसूरती से दिखाती है कि आँखें नम हो जाती हैं।" अमृत जैन ने फिल्म के डायलॉग्स की सराहना करते हुए कहा, "हर एक संवाद दिल को छू लेने वाला था, जैसे—‘डॉक्टर बनूंगी न बाबा’, ‘मोबाइल बुरी चीज है लेकिन तुम इससे अच्छी बातें सीख सकती हो’, और ‘अगर अस्पताल रहता तो मेरी माँ मेरे पास होती न बाबा’।"
फिल्म की सफलता को लेकर मनीष चौधरी ने कहा, "फिल्म के लेखक-निर्देशक सोमेश यादव ने भागलपुर में रहते हुए बॉलीवुड स्तर की फिल्म बनाई है, जो काबिले-तारीफ है।"
फिल्म के निर्माता बिट्टू यादव ने बताया कि ‘डॉक्टर बेटियां’ को कम बजट और सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ी मेहनत से तैयार किया गया। इसे पूरा करने में एक साल का समय लगा।
फिल्म के लेखक-निर्देशक सोमेश यादव ने कहा, "दर्शकों से उम्मीद से ज्यादा प्यार मिला। मैं आगे भी प्रेरणादायक फिल्में बनाता रहूंगा, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके। हर माता-पिता को यह फिल्म अपने बच्चों को दिखानी चाहिए, यह उनके जीवन को बदल सकती है।"
इस फ़िल्म में अंतरराष्ट्रीय स्तर का संगीत ग्रीस के संगीतकारों ने भावनाओं को और गहराई दी है जिसमें संगीत रचना: स्टेलिओस पापाकोस्मिडिस, साउंड डिजाइन: एलेनी एंजेली और नास्टिया बागलारिडू,
ऑर्केस्ट्रेशन: स्टेलिओस पापाकोस्मिडिस और पानोस टोपालिडिस,
मिक्सिंग और मास्टरिंग: मेजर म्यूजिक हाउस,ग्रीस में किया गया है
फिल्म की मुख्य कलाकार: सोमेश यादव, काव्या चौबे
सहायक कलाकार: सुयश जैन, अनिल रमन, संतोष कुमार झा, अर्पिता चौधरी,रूपेश यादव ने किया है।
फिल्म की डीआई हैदराबाद में की गई है, जिससे इसकी सिनेमैटोग्राफी और रंग संयोजन को बेहतरीन रूप दिया गया है।
‘डॉक्टर बेटियां’ न सिर्फ एक फिल्म, बल्कि समाज को बदलने का एक प्रयास है। यह फिल्म बेटियों की शिक्षा और उनके सपनों को साकार करने की प्रेरणा देती है।
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