समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड


देहरादून(हि.स.: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सोमवार को लागू हो गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोपहर सवा 01 बजे के करीब मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में यूसीसी को लागू करने के लिए नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण किया। इसी के साथ उत्तराखंड स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया जहां यह कानून प्रभावी हो गया है। इसके बाद से विवाह, तलाक, लिव इन, लिव इन से अलग होना, विरासत आदि के ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो गए। समान नागरिक संहिता के लिए 27 मई 2022 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यूसीसी की नियमावली को संबंधित अधिकारियों के प्रशिक्षण के बाद लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि यूसीसी से समाज में एकरूपता आएगी और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और दायित्व सुनिश्चित होंगे। समान नागरिक संहिता प्रधानमंत्री की ओर से देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। इसके अंतर्गत जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।

यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि आज का दिन इतिहास लिखने का दिन है। नियमावली बनाने के दौरान ला कमीशन की रिपोर्ट से प्रेरणा ली गई। इसके साथ ही राज्यभर में दौरा कर संवाद किया गया। पारदर्शी और सरल बनाया गया। समय रहते यानी निर्धारित अवधि में इस नियम के तहत कार्य करने की व्यवस्था की गई है। शिकायत देरी पर एक्शन की व्यवस्था भी यूसीसी में किया गया है। विवाह विच्छेद का भी सर्टिफिकेट देने की व्यवस्था की गई है। डेटा को सरल बनाया गया। निजी डेटा का भी ख्याल रखा गया है। अगर किसी को आपत्ति नहीं है तो उस व्यक्ति की उसके अनुसार उनकी डेटा की जानकारी ली जा सकती है। इस प्रकार की डेटा में व्यवस्था की गई है।

इस मौके पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि यूसीसी में सभी देवतुल्य जनता के हितों की चिंता करते हुए सरल बनाया गया है। समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे सभी वर्ग के लोगों को त्वरित न्याय मिलेगा। सभी सरकारी विभागों को नियमों को लेकर आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। अधिनियम के क्रियान्वयन के दौरान कोई भी समस्या आएगी उसका त्वरित निस्तारण किया जाएगा। अन्य राज्यों के लिए उत्तराखंड उदहारण बन गया है।

यूसीसी नियम के तहत पूजा-पद्धति और परंपराओं में कोई बदलाव नहीं किया गया। कोई भी शख्स बहुविवाह नहीं कर पाएगा। सभी के लिए तलाक का कानून एक जैसा होगा। लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना भी जोड़ों के लिए अनिवार्य होगा। इस दौरान पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार मिलेगा।

उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी। यूसीसी में विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। इसके लिए कट ऑफ डेट 27 मार्च 2010 रखी गई है। यानी इस दिन से हुए सभी विवाह पंजीकृत कराने होंगे। विवाह का पंजीकरण छह माह के भीतर करना होगा। विवाह पंजीकरण करने के लिए किए गए आवेदन पर कानूनी स्वीकृति न मिलने पर विवाह का आवेदन स्वीकृत माना जाएगा। यूसीसी के नियम-कानून से अनुसूचित जनजाति को बाहर रखा गया है। ट्रांसजेंडर, पूजा-पद्धति व परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।

यूसीसी में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अंतर्गत यदि कोई सैनिक, वायुसैनिक या नौसैनिक विशेष अभियान में है, तो वह विशेषाधिकार वाली वसीयत कर सकता है। वह अपने हाथ से कोई वसीयत लिखता है और उसमें उसके हस्ताक्षर या फिर साक्ष्य नहीं है तो भी वह मान्य होगी। शर्त यह रहेगी कि इसकी पुष्टि होनी जरूरी है।

मुख्यमंत्री के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, सौरभ बहुगुणा, रेखा आर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी दीपम सेठ के अलावा यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह सहित कई गण्यमान्य उपस्थित रहे।

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