सुशील मोदीः संघर्ष के बल पर छात्र राजनीति से बिहार के राजनीतिक शिखर तक बनाया मुकाम


नई दिल्ली: बिहार भाजपा में सुशील कुमार मोदी ऐसा नाम है, जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य सुशील कुमार मोदी की पहचान एक जुझारू नेता के रूप में रही है। सामान्य परिवार से निकल बिहार के राजनीतिक शिखर का मुकाम बनाने के बीच संघर्ष की लम्बी राह भी रही है।

छात्र संघ की राजनीति से उभरे सुशील मोदी जेपी आंदोलन से काफी प्रभावित थे। जेल भी गए। इनकी पहचान निर्भिक नेता की रही। छात्र राजनीति के दौरान लालू प्रसाद यादव सुशील मोदी साथ रहते थे लेकिन फिर उनकी राहें जुदा हो गईं। बाद में लालू के शासन के समय कई बड़े घोटालों का खुलासा सुशील मोदी ने किया। सुशील मोदी द्वारा दाखिल पीआईएल बिहार ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए चर्चित चारा घोटाले रूप में उजागर हुआ।

सुशील मोदी की प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट माइकल स्कूल से हुई। बीएससी बीएन कॉलेज से की। 1974 में जेपी आंदोलन के आह्वान पर एमएससी की पढ़ाई छोड़ दी और करीब 19 माह जेल में रहे। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सुशील काफी सक्रिय रहे और स्कूली छात्रों को शारीरिक फिटनेस और परेड का प्रशिक्षण देने के लिए सिविल डिफेंस में कमांडेंट बने। इसी दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। फिर 1977 में वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और 1983 में परिषद के राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव बने।

करीब 34 साल राजनीति में सक्रिय रहे सुशील कुमार मोदी राज्यसभा, लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा यानी चारों हाउस के सदस्य रह चुके हैं। सुशील कुमार मोदी से पहले सिर्फ लालू प्रसाद यादव और नागमणि ही चारों सदनों के सदस्य रहे हैं। वर्ष 1990 में पहली बार पटना सेंट्रल से सुशील मोदी ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। 2004 में वो भागलपुर सीट से लोकसभा के सदस्य के तौर पर चुने गए। हालांकि 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद सुशील मोदी को फिर से बिहार विधान मंडल दल का नेता चुना गया। तब उन्होंने लोकसभा से त्यागपत्र दिया था। वर्ष 2012 में वो फिर विधान परिषद सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए। इसके बाद 2018 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया।

तथ्यात्मक, संतुलित और संयमित भाषण देना इनकी पहचान रही है। कागजी आंकड़ों में महारत रखने वाले सुशील मोदी बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता के तौर पर रुतबा रखते थे। सरकार में कई अहम जिम्मेदारी संभालने के साथ वो तीन बार राज्य के उपमुख्यमंत्री भी रहे। 1996 से 2004 तक बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने, 2011 में जीएसटी मंत्रियों की समिति के अध्यक्ष बने, 2013 में भाजपा के सरकार से अलग होने पर नेता प्रतिपक्ष बने और वर्ष 2017 में नीतीश सरकार में फिर बिहार के उपमुख्यमंत्री बने।

कहा जाता है कि बिहार में जात आधारित राजनीति काम करती है। लिहाजा बिहार में ये अक्सर दिखाई देता था कि किसी जाति के बड़े नेता द्वारा अपने जाति के लोगों को खास तवज्जो दी जाती थी लेकिन सुशील कुमार मोदी उन नेताओं में से थे, जिन्होंने जात-पात को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। वैश्य समाज से आने वाले सुशील कुमार मोदी ने कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आने दी कि लोग कहें कि वो वैश्यों को पार्टी में प्राथमिकता दे रहे हैं।

व्यक्तिगत परिचयः सुशील कुमार मोदी का जन्म 05 जनवरी 1952 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। उनके पिता मोती लाल मोदी और माता का नाम रत्ना देवी था। उन्होंने अपनी शादी ईसाई धर्म में की थी और उनकी पत्नी जेस्सी सुशील मोदी पेशे से कॉलेज प्रोफेसर हैं। उनके दो बेटे के नाम उत्कर्ष तथागत और अक्षय अमृतांशु है।

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