Uttar Pradesh Legislative Assembly: बदलेंगे यूपी विधानसभा कार्यवाही के नियम, सदन में मोबाइल फोन पर भी लगेगा बैन


उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का आज दूसरा दिन है. सत्र के पहले दिन सदन में सरकार की तरफ से विधानसभा की नई नियमावली का मसौदा पेश किया गया. इस नए मसौदे को अगर मंजूरी मिल जाती है तो आने वाले दिनों विधायक सदन के अंदर मोबाइल फोन नहीं ले जा सकेंगे.

नई रुल बुक में सदस्यों को सदन में मोबाइल फोन ले जाने और झंडे, बैनर, ऐसे अन्य प्रतीक और हथियार प्रदर्शित करने से रोकने का प्रस्ताव रखा गया है. यदि सदन की नियम समिति द्वारा अनुशंसित नए नियम प्रभावी होते हैं तो ये प्रतिबंध लागू होंगे. राज्य विधानसभा की नियम समिति के अध्यक्ष रामपाल वर्मा ने सोमवार को सदन में 156 पन्नों की मसौदा नियम पुस्तिका पेश की.

दरअसल जब विधानसभा का सत्र चलता है तो सदस्यों की तरफ से मुख्य रूप से विपक्षी सदस्य नारे प्रदर्शित करने और विभिन्न मुद्दों पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए झंडे, बैनर और तख्तियों का उपयोग करते हैं. 

नए नियम पुस्तिका में प्रस्तावित अन्य नियमों में प्रावधान है कि मंत्रियों को अब सदन में सदस्यों के अल्प सूचना प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम नहीं होने पर विधानसभा सचिवालय को कारण सहित जानकारी देनी होगी. सदस्यों को धूम्रपान करने, किसी भी दस्तावेज़ को फाड़ने और लॉबी में जोर से बात करने पर भी रोक लग जाएगी.

आसन की तरफ पीठ दिखाकर बैठने पर प्रतिबंध 

नए नियम में कहा गया है कि कोई भी सदस्य स्पीकर की ओर पीठ दिखाकर खड़ा या बैठेगा नहीं. इसमें सदस्यों से कहा गया है कि वे खुद स्पीकर (कुर्सी) के पास न जाएं. जरूरत पड़ने पर वे वहां बैठे अधिकारी के माध्यम से स्पीकर को एक पर्ची भेज सकेंगे. 

इसके अलावा पूरक प्रश्नों की संख्या को दो तक सीमित करने और सदन को बुलाने के लिए नोटिस के लिए न्यूनतम दिनों की आवश्यकता को 14 से घटाकर सात दिन करने का भी प्रस्ताव है.

बदलेंगे कई नियम 

चूंकि नियम पुस्तिका को बदलना एक विस्तृत प्रक्रिया है, इसलिए सदन की कार्य सलाहकार समिति ने सुझाव आमंत्रित करने का निर्णय लिया है. मसौदा नियम पुस्तिका पर चर्चा 9 अगस्त को होगी. नई नियम पुस्तिका को मानसून सत्र के आखिरी दिन अपनाया जाएगा. यह अगले सत्र में प्रभावी होगा.

उत्तर प्रदेश विधानसभा ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (NIVA) की शुरुआत करते हुए 65 वर्षों के बाद नई नियम पुस्तिका को अपनाने का प्रस्ताव रखा है. इससे पहले 1958 में यूपी विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों को अपनाया था.

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