महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे CM बनने और शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह मिलने के बाद पहली बार अपने सभी विधायकों और सांसदों के साथ अयोध्या पहुंचे हैं. शिंदे शनिवार को ही देर रात लखनऊ पहुंच गए थे और आज सुबह वो पूरे काफिले के साथ अयोध्या पहुंचे. अयोध्या में शक्ति प्रदर्शन कर एकनाथ शिंदे अपने आप को हिंदुत्व की राजनीति करने वाले नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश में हैं. शिंदे के अयोध्या दौरे को लेकर पूरे अयोध्या में शिवसेना के झंडे और मुख्यमंत्री के बैनर लगाए गए हैं.
शिवसेना नाम और धनुष बाण का चुनाव चिन्ह मिलने के बाद एकनाथ शिंदे अपने आप को बालासाहेब ठाकरे का सच्चा अनुयायी बताने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए पूरे विधायकों और सांसदों के साथ मुख्यमंत्री अयोध्या का दौरा करने पहुंचे हैं. शिवसेना के प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने कहा कि हमारी मुख्य विचारधारा हिंदुत्व की है और पार्टी उससे पार्टी दूर जा रही थी. हालांकि एकनाथ शिंदे उसे वापस हिंदुत्व की विचारधारा के रास्ते पर ले आए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री होने के बाद रामलला का यह पहला दर्शन है, यह असली हक हमें मिला है, पार्टी हिंदुत्व की विचारधारा से फिसल रही थी, उसे वापस हिंदुत्व की विचारधारा की तरफ हम लेकर आए हैं.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शाम को सरयू तट पर आरती में भी हिस्सा लेंगे. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलने का कार्यक्रम है. अयोध्या के महंतों से धनुष बाण लेकर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र वापस जाएंगे. महाराष्ट्र के कई जिलों में इस साल होने वाले महानगर पालिका के चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले इसे एकनाथ शिंदे की हिंदुत्व की राजनीति की तरफ एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री उदय सामंत ने कहा कि शिवसेना का यह अयोध्या का तीसरा दौरा है. इससे पहले के दो दौरों में भी वे शामिल थे. तब सीएम अलग थे, लेकिन जो अब चुनाव आयोग का निर्णय होने के बाद शिवसेना एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में काम कर रही है, जो दो बार नहीं हुआ, वो इस बार हो रहा है.
शिवसेना के इतिहास में बालासाहेब ठाकरे से लेकर उद्धव ठाकरे और अब एकनाथ शिंदे, हर किसी के राजनैतिक करियर में अयोध्या की एक अहम भूमिका रही है. पिछली बार जब एकनाथ शिंदे अयोध्या आए थे, तब उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री थे, लेकिन बाद में शिंदे ने ठाकरे पर हिंदुत्व का पालन नहीं करने का आरोप लगाकर बगावत की और अब उनकी ओर से खुद को हिंदुत्व का पालन करने वाले असली नेता बताने के लिए उनकी पार्टी कोई कसर छोड़ती नजर नहीं आ रही है.
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