महाराष्ट्र की सियासत में पिछले दिनों खींचतान का जो दौर शुरू हुआ. वो अब तक खत्म होता नहीं दिख रहा है. निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना के तौर पर मान्यता देते हुए पार्टी का चुनाव निशान ‘धनुष बाण’ को भी उसे आवंटित कर दिया था. यह फैसला ठाकरे के लिए झटका माना जा रहा है क्योंकि उनके पिता बाल ठाकरे ने वर्ष 1966 में इस पार्टी की स्थापना की थी.
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना' नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान' आवंटित किया था. अब इस मसले पर महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर से गर्मा चुकी है. ठाकरे गुट चुनाव आयोग के फ़ैसले पर सवाल उठा रहा है. नाम-निशान बचाने की आख़िरी कोशिश में उद्धव गुट ने आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उधर एकनाथ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाख़िल कर दिया है. इसके ज़रिए अपील की गई है कि अगर उद्धव गुट चुनाव आयोग के फ़ैसले को चुनौती देता है तो कोर्ट एकपक्षीय सुनवाई कर कोई आदेश पारित न करे और शिंदे गुट का पक्ष भी सुना जाए.
चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव ठाकरे गुट ने कहा कि आयोग ने हमारे तर्कों को पूरी तरह नजरअंदाज किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की गई. याचिका में कहा गया है. इस मुद्दे को तय करने के लिए ईसीआई द्वारा गलत मानदंड अपनाया गया. गृह मंत्री अमित शाह ने शिवसेना का नाम और निशान एकनाथ शिंदे गुट को मिलने पर कहा कि चुनाव आयोग के फ़ैसले ने सत्यमेय जयते को चरितार्थ किया है. इसी के साथ उद्धव पर निशाना साधते हुए बोले कि धोखा देने वालों को बख़्शेंगे नहीं.
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