हाई कोर्ट ने मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज के मामले में मगध प्रमंडल आयुक्त से मांगा जवाब

 -रद्द सर्टिफिकेट दिखाकर कमिश्नर से डीएम के आदेश को करा दिया गया निरस्त


सूरज कुमार

गया। मगध प्रमंडल का एकमात्र अल्पसंख्यक कॉलेज, मिर्जा गालिब कॉलेज के वर्तमान सचिव शबी आरफीन शमसी अपने पद पर बने रहने के लिए अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर डीएम के पत्र को प्रमंडलीय आयुक्त से रद्द करवा चुनाव संपन्न दिखा दिया.जबकि चेयर मैन अजीज अहमद मोनीरी और कॉलेज के पूर्व प्राचार्य हफीजुर रहमान खान विधिवत इलेक्शन कराने को लेकर प्रयास में लगे हैं और लगातार डीएम और मगध प्रमंडल आयुक्त से आग्रह करतें रहें.जिस पर डीएम के द्वारा तो पत्र निर्गत कर निर्धारित तिथि को इलेक्शन कराने का निर्देश दे दिया गया, लेकिन मगध प्रमंडल आयुक्त के द्वारा डीएम के पत्र को रद्द कर दिया गया और कहा गया कि इलेक्शन तो हो चुका है.अब इस मामले में हाई कोर्ट ने मगध प्रमंडल आयुक्त से 30 जनवरी को जवाब मांगा है.

-क्या है पूरा मामला ?.

मिर्जा गालिब कॉलेज, गया में शासी निकाय एवं सेक्रेटरी का कार्यकाल पूरा होने के उपरांत मिर्जा गालिब कॉलेज के चेयर मैन अजीज अहमद मोनीरी ने हिंदी दैनिक अखबार में दिनांक 21 अक्टूबर 2021 को विज्ञप्ति जारी कर इलेक्शन का डेट 30 जनवरी 2021 को निर्धारित किया.साथ ही शिक्षा विभाग के सभी संबंधित गया एवं पटना के अधिकारियों को पत्र के माध्यम से इलेक्शन हेतु आग्रह किया.जिस पर मगध यूनिवर्सिटी ने मिर्जा गालिब कॉलेज में इलेक्शन करवाने को लेकर कॉलेज के वर्तमान प्रिंसिपल और सेक्रेटरी को पत्र भेजा.वही कॉलेज के वर्तमान सेक्रेटरी एवं प्रिंसिपल के द्वारा 30 जनवरी 2021 के इलेक्शन की तारीख को हिंदी दैनिक अखबार में छपवाते हुए इसे अनाधिकृत एंव अनावश्यक बताया.साथ ही अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर उल्टे मगध यूनिवर्सिटी को ही पत्र के माध्यम से इलेक्शन कराने की जरूरत नहीं है का पत्र भेजा.जिस पर मगध यूनिवर्सिटी के द्वारा पून: सेक्शन बताते हुए सेक्रेटरी का पद हेतु चुनाव 30 जनवरी 2022 को कराने का निर्देश दिया गया.साथ ही शासी निकाय को चेयरमैन के द्वारा भंग कर दिया गया.

कॉलेज के चेयर मैन के द्वारा डीएम को चुनाव हेतु भेजा जाता है पत्र

 मगध यूनिवर्सिटी के निर्देश के आलोक में मिर्जा गालिब कॉलेज के चेयर मैन के द्वारा तत्कालीन डीएम अभिषेक सिंह को पत्र भेज कर, इलेक्शन कराने हेतु विधि व्यवस्था भंग ना हो इसके लिए एक मजिस्ट्रेट और पुलिस नियुक्त करने हेतु आग्रह किया जाता है,जिसके आलोक में डीएम के द्वारा सदर एसडीओ को दण्डाधिकारी के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया जाता है.उधर सदस्य मो0 सदरूद्दीन के आवेदन पर सदर एसडीओ के द्वारा एडिशनल एसडीओ राजीव रोशन को मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त कर विधि व्यवस्था बनाने हेतु निर्देश दिया जाता है.

सदर एसडीओ ने एएसडीओ के सर्टिफिकेट को किया रद्द

वहीं इस मामले में इलेक्शन तो नहीं होती है परंतु बैठक 7 सदस्यों की होती है जिसमें इलेक्शन को लेकर चर्चा होती है, अब यह हुई कि नहीं हुई या तो समझ से परे है.परंतु एडिशनल एसडीओ के द्वारा इस संबंध में एक सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है, जिसमें बैठक शांति पूर्ण रुप से संपन्न हुई है दिखाया जाता है.जब यह बात कॉलेज के चेयर मैन अजीज अहमद मोनीरी को पता चलती है तो तुरंत ही सदर एसडीओ के पास पत्र के माध्यम से जानकारी दी जाती है एवं उनसे आग्रह किया जाता है कि इस मामले को लेकर बैठक हुई ही नहीं और ना ही इलेक्शन हुई फिर भी एडिशनल एसडीओ के द्वारा कैसे सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया,इस रद्द की जाए.तब सदर एसडीओ इंद्रवीर कुमार के द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए एडिशनल एसडीओ का सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया गया.

डीएम के द्वारा निकाली जाती है इलेक्शन की डेट

वही इस मामले को लेकर कॉलेज के चेयर मैन ने तत्कालीन डीएम अभिषेक सिंह के पास मिल कर कॉलेज में निर्धारित तिथि को चुनाव कराने हेतु विधि व्यवस्था बनाने हेतु मजिस्ट्रेट और पुलिस नियुक्त करने का दोबारा आग्रह करते हैं, जिस पर डीएम के द्वारा इस बार सदर एसडीओ को मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त करते हुए विधि व्यवस्था बनाने हेतु कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं.

आयुक्त ने डीएम के पत्र को बिना जांचे कर दिया रद्द

 इस मामले में जब वर्तमान सेक्रेटरी शबी आरफीन शमशी को पता चलता है कि डीएमक द्वारा निर्धारित तिथि को इलेक्शन करवाने हेतु पत्र जारी किया गया है, उनकी बेचैनी बढ़ जाती है और वह एडिशनल एसडीओ का रद्द हुए सैटिफिकेट दिखाकर एवं प्रभाव में लाकर कमिश्नर

हो रहा है इलेक्शन को रुकवा देते हैं साथ ही डीएम के पत्र को भी मगध प्रमंडल आयुक्त से निरस्त करवा कर एक आदेश जारी करवा देते हैं और वह भी डीएम से बिना जांच पड़ताल करवाएं.जबकि इस मामले में कॉलेज के चेयर मैन और पूर्व प्राचार्य लगातार आयुक्त से मिलकर अपनी बातों को रखते रहे और उन्हें लिखित आवेदन भी देते हैं फिर भी आयुक्त ने उनकी बातों को ना सुना.

कॉलेज के चेयरमैन और पूर्व प्राचार्य पुन: जातें हैं डीएम से मिलने

इस मामले को लेकर कॉलेज के चेयर मैन, पूर्व प्राचार्य, और कई सदस्य डीएम डॉ त्यागराजन एसएम से मिलने गए, जिस पर डीएम ने सदर एसडीओ से इस मामले को लेकर क्या स्थिति है की जानकारी मांगी जाती है.तब डीएम के पत्र के आलोक में सदर एसडीओ ने अपने पत्र में जवाब देते हुए इस मामले को निर्देशक उच्च शिक्षा बिहार सरकार को भेजने हेतु अनुशंसा करतें हैं.जिसके आलोक में डीएम के द्वारा पत्र निर्गत करते हुए निर्देशक उच्च शिक्षा बिहार सरकार को भेजा जाता है,परंतु इनके द्वारा भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते हुए कहा जाता है कि वर्तमान मामले में मिर्जा गालिब कॉलेज गया में परिषद चेयरमैन एवं शासी निकाय के सदस्यों के चुनाव में विभाग की कोई भूमिका नहीं है और यह कहते हुए पत्र देकर मामले को खत्म कर दिया जाता है. 

30 जनवरी को हाई कोर्ट ने आयुक्त से मांगा है जवाब

इस मामले में कॉलेज के पूर्व प्राचार्य हाफिजुर रहमान खान ने सभी विभाग को आवेदन देकर थक गए और अंत में कहीं से कोई हल ना निकलने पर हाईकोर्ट में सी डब्ल्यू जे सी फाइल किया, जिसका नंबर 3945/22 है.जिसमें हाईकोर्ट ने मामले को देखते हुए मगध प्रमंडल आयुक्त से इस मामले में जवाब मांगा है.अपील कर्ता का कहना है कि अगर आयुक्त का स्पष्ट जवाब ना रहा तो कोर्ट आगे की कार्यवाही भी करेगी.

सवाल के घेरे में है मगध प्रमंडल आयुक्त का डीएम के पत्र को रद्द करना

सवाल के घेरे में आता है मगध प्रमंडल आयुक्त मयंक बरबड़े के द्वारा बिना जांच पड़ताल किए हुए ही डीएम के पत्र को रद्द करना.चुकीं इस मामले में डीएम से स्पष्ट मंतव्य मांगा जाना चाहिए था.क्योंकि यह जिला का मामला है जिला लेवल पर ही होना चाहिए था.बताया जाता है कि वर्तमान सेक्रेटरी शबी आरफीन शमशी ने मगध प्रमंडल आयुक्त को गलत जानकारी देकर एवं रद्द सर्टिफिकेट दिखाकर दोबारा इलेक्शन ना कराने का आग्रह किया एवं वरीय अधिकारियों से दवाब दे कर डीएम के आदेश को रद्द करने का निर्देश दिलवाया है.जबकि इस मामले में लगातार विपक्ष के द्वारा आयुक्त से मिलना हो रहा था एवं उनके संज्ञान में दिया जा रहा था उसके बावजूद भी इस तरह की लापरवाही कैसे हो गई समझ से परे है.इससे तो स्पष्ट होता है कि मगध प्रमंडल आयुक्त से कोई भी काम दबाव देकर एवं प्रभाव में लाकर करवा लिया जा सकता है.खैर यह तो जांच का विषय है अब यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है तो हाईकोर्ट ही इसके आगे की कार्यवाही करेगा, परंतु इतना तो तय जरूर है की मगध प्रमंडल आयुक्त का इस मामले में क्या रोल रहता है क्या फर्जी तरीके से जानकारी देने वालो पर प्राथमिकी दर्ज की जाती है या नहीं देखना होगा.


Post a Comment

Previous Post Next Post