नौ सितंबर गुरुवार को हरतालिका तीज व्रत महिलाएं रखेंगी। इसको लेकर बाजार में चहल पहल बढ़ी हुई है। दरअसल हिंदू धर्म में भाद्रपद मास में कई व्रत-त्योहार आते हैं। जिनमें से एक हरतालिका तीज भी है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत को सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं हरतालिका तीज व्रत को सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। हरतालिका तीज व्रत के लिए मायके से महिलाओं के श्रृंगार का समान, मिठाई, फल और कपड़े भेजे जाते हैं। तीज को लेकर बाजारों में चहल पहल बढ़ गई है। जमकर खरीदारी हो रही है। अनलाक में छूट मिलने के बाद पर्व त्योहारों में फिर से रौनक लौटने की उम्मीद अब लगने लगी है। दुकानदारों को भी उम्मीद है कि अब व्यवसाय को रफ्तार मिलेगी।
कब है हरतालिका तीज व्रत
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ आठ सितंबर, दिन बुधवार को देर रात 2 बजकर 33 मिनट पर होगा। यह तिथि नौ सितंबर को रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में यह व्रत उदया तिथि में सितंबर को रखा जाएगा। हरतालिका तीज की पूजा के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। पहला शुभ मुहूर्त सुबह के समय और दूसरा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद बन रहा है। सुबह 6:03 से सुबह 08:33 मिनट तक हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त है।
हरतालिका तीज महत्व
हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है। हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित कर और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इस दिन हरितालिका तीज व्रत कथा सुनने का भी महत्व है।
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