कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पंजाब के नए मुख्यमंत्री को ढूंढना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी अब जट और हिंदू चेहरे के बीच में उलझ गई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक दी है। इसके बाद से ही सिद्धू के खेमे में खींचतान शुरू हो गई है।
कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा भी मुख्यमंत्री की दौड़ में चल रहे हैं। दोनों ही मंत्री खुद को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं। वहीं, दोनों ही मंत्रियों ने पार्टी के प्रभारी व पर्वेक्षक अजय माकन और हरीश चौधरी को कह दिया गया है कि अगर हिंदू को मुख्यमंत्री बनाना है तो सुनील जाखड़ की बजाए अंबिका सोनी को यह मौका दिया जाए। वैसे बताया जाता है कि स्वास्थ्य का हवाला देकर अंबिका सोनी ने अपनी दावेदारी से इन्कार कर दिया है।
नवजोत सिद्धू ने भी पार्टी हाईकमान को फोन करके कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए
इन सारी परिस्थितियों में मुख्यमंत्री की कुर्सी उलझ कर रह गई है। अहम बात यह है कि सुखजिंदर रंधावा और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा पहले जाखड़ के करीबी थी लेकिन जैसे ही जाखड़ का नाम मुख्यमंत्री के रूप में आया दोनों ही मंत्रियों ने उनकी मुखालफत शुरू कर दी है।
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही कह चुके है कि उनका विरोध करने वाले मंत्री खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते है। इन सबमें सबसे अहम मोड़ तब आया जब करीब दो माह पहले ही प्रदेश कांग्रेस के प्रधान बने नवजोत सिंह सिद्धू ने भी बहती गंगा में हाथ धोने के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी ठोक दी है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सिद्धू ने यह दावेदारी न सिर्फ प्रदेश प्रभारी हरीश रावत के सामने की बल्कि उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी अपनी इच्छा बता दी है। उधर, अंबिका सोनी का नाम आने से नए मुख्यमंत्री को बनाने की लड़ाई रोचक हो गई है।
फिर शुरू हुआ फीडबैक लेने का क्रम
इस बीच चंडीगढ़ में एक पांच सितारा होटल में रुके कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और पर्वेक्षक हरीश चौधरी और अजय माकन ने अपने-अपने स्तर पर फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार इन तीनों ही नेताओं द्वारा पंजाब के विधायकों को फोन कर उनका फीडबैक लिया जा रहा है कि वह नए मुख्यमंत्री के रूप में किसे देखना पसंद करेंगे। इस सारी कवायद में पार्टी हाईकमान ने चुप्पी साध ली है। एक दिन पहले तक यह तय था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विधायकों द्वारा नए मुख्यमंत्री बनाने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष को सौपने के कुछ देर बाद ही नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।
यही कारण है कि विधायक दल की बैठक के बाद सभी विधायकों को आधे घंटे रुकने के लिए कहा गया लेकिन इस बैठक के खत्म होने के उपरांत ही नए मुख्यमंत्री को लेकर मामला उलझने लगा। क्योंकि, पार्टी हाईकमान सुनील जाखड़ को पंजाब का पहला हिंदू मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी लेकिन सुखजिंदर सिंह रंधावा ने न सिर्फ खुद मुख्यमंत्री बनने की दावेदारी ठोकी बल्कि उन्होंने सुनील जाखड़ का विरोध भी कर दिया। जिसके बाद से ही मामला लगातार उलझता जा रहा है। कांग्रेस के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि अगर यह मामला ऐसे ही उलझा रहा तो रविवार को भी नए मुख्यमंत्री का चयन न हो सके।
पितृ पक्ष भी आ रहा है आड़े
सोमवार से पितृ पक्ष शुरू हो रहे है। पितृ पक्ष को लेकर आम धारणा है कि कोई नए काम का शुरूआत नहीं होती है। हिंदू धर्म में यह धारणा काफी गहरी है। जबकि अन्य धर्म के लोग भी काफी हद तक इसे मानते है। एसे में अगर कांग्रेस नए मुख्यमंत्री की तलाश रविवार को नहीं कर पाती है तो नए मुख्यमंत्री को पितृ पक्ष में ही अपनी पारी की शुरूआत करनी होगी।
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