भारी बारिश और विभिन्न बांधों से छोड़े गए जल से बंगाल में नदियां उफान पर

भारी बारिश और विभिन्न बांधों से छोड़े गए जल से बंगाल कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। विभिन्न जिलों के सैकड़ों गांवों में पानी भर जाने से दीवार गिरने और करंट लगने से अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं छह जिलों के करीब ढाई लाख लोग राहत शिविरों में समय काटने को मजबूर हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि राहत व बचाव कार्य में राज्य सरकार को सेना व राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की मदद लेनी पड़ रही है।

पूर्व बर्धमान, पश्चिम बर्धमान, पश्चिम मेदिनीपुर, हुगली, हावड़ा और दक्षिण 24 परगना जिले के अनेक स्थानों में कमर तक पानी भरा हुआ है, जिससे लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई नदियां उफान पर हैं जो बांध तोड़कर गांवों पर कहर बरपा रही है। कई लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने के लिए वायुसेना के हेलीकाप्टर बचाव में लगे हुए हैं। हुगली जिले में हालात बद से बदतर है। यहां गर्दन तक पानी भर चुका है। भारी बारिश के कारण रूपनारायण नदी ने बांध तोड़ दिया है और उसका पानी गांवों में घरों तक जा पहुंचा है। कई लोग छतों पर शरण लिए हुए हैं।

दरअसल, भारी बारिश की वजह से दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के विभिन्न बांधों से भी पानी छोड़ना पड़ रहा है। एक तो बारिश और दूसरा बांधों से छोड़े गए पानी से हावड़ा और हुगली दोनों जिलों में बाढ़ आ गई है। ऐसी स्थिति हर वर्ष उत्पन्न होती है। परंतु, लगभग हर साल आने वाली बाढ़ की इस समस्या से निजात पाने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर साल बाढ़ आने पर केंद्र सरकार और डीवीसी, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) या फिर झारखंड के डैमों से जल छोड़ने को लेकर मुखर होती रही हैं और केंद्र पर आरोप लगाती रही है कि डैमों की ड्रेजिंग नहीं होने की वजह से उनकी जल धारण क्षमता कम हो गई है। इसी वजह से डैम से पानी छोड़ना पड़ रहा है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जा रही है। परंतु, राज्य सरकार की ओर से इस बाढ़ को रोकने के लिए अब तक क्यों नहीं एक भी कदम उठाए गए?

इस सवाल का जवाब देने को कोई तैयार नहीं है। हर साल बाढ़ आती है और केंद्र को कोसकर खूब राजनीति होती है और बाद में वही यथास्थिति हो जाती है। अगर सामंजस्य बैठाकर केंद्र के साथ योजना बनाई गई होती और उस पर अमल किया गया होता तो शायद यह स्थिति नहीं होती। यदि समय रहते समाधान की कार्ययोजना तैयार करते हुए काम शुरू हो तो अगले साल इससे बचाव हो सकता है। प्रदेश में कई नदियां उफान पर हैं जो बांध तोड़कर कहर बरपा रही हैं। कई लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने के लिए वायुसेना के हेलीकाप्टर बचाव कार्य में लगे हैं।


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