तालिबान के आगे झुकने को तैयार अफगान सरकार, सत्ता में साझेदारी का ऑफर दिया, जानें क्‍या है काबुल की मजबूरी

तालिबान लड़ाके अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल से महज 150 किलोमीर दूर है। तालिबानी लड़ाके सात दिनों में अफगानिस्तान के 11 राज्यों पर अपना कब्जा कर चुके हैं। अफगानिस्‍तान के गजनी और हेरात पर भी उनका कब्जा हो चुका है। यह इलाका राजधानी काबुल से महज 150 किलोमीटर की दूरी पर है। तालिबान लड़ाके जल्द ही काबुल पर भी कब्जा कर सकते हैं और इसके बाद पूरा अफगानिस्तान उनकी गिरफ्त में होगा। तालिबान ने वेस्ट अफगानिस्तान के हेरात में पुलिस हेड क्वार्टर पर भी कब्जा कर लिया है। ऐसे हालात में अफगान सरकार बैकफुट पर आ गई है। उसने तालिबान को सत्‍ता में साझेदारी का प्रस्‍ताव दिया है।

अफगानिस्‍तान सरकार बैकफुट पर आई

तालिबान के आक्रामक रुख को देखते हुए अफगानिस्‍तान सरकार बैकफुट पर आ गई है। दोहा में तालिबानियों के साथ वार्ता में अधिकारियों ने हिंसा खत्‍म करने के लिए एक समझौते का प्रस्‍ताव दिया है। एफपी न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक देश में शांति और स्थिरता के लिए अफगानिस्‍तान की सरकार अब तालिबान को सत्‍ता में साझेदारी बनाना चाहती है, ताकि तालिबान जंग खत्‍म कर दें। आइए जानते हैं कि आखिर एक सप्‍ताह में तालिबान ने किन राज्‍यों की राजधानी पर किया कब्‍जा।

क्‍यों विवश हुई अफगान सरकार

प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सैनिकों की अचानक वापसी से यहां की सरकार मुश्किल में पड़ गई है। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान की समस्‍या के समाधान पर महाशक्तियों के बीच सियासत का खेल शुरू हो गया है। दोहा शांति वार्ता के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इस समस्‍या का कोई समाधान नहीं निकल सका है।

उन्‍होंने कहा कि उधर, अफगानिस्‍तान में तालिबान लड़ाकों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार हो गया है। वह तेजी से अफगानिस्‍तान के इलाकों में अपना पांव पसार रहे है। ऐसे में अफगान सरकार के पास तालिबान से निपटने का कोई विकल्‍प नहीं बचा है।

प्रो. पंत ने कहा कि अफगानिस्‍तान में शांति और स्थिरता के लिए तालिबान की भूमिका को नाकरा नहीं जा सकता है। अब सरकार इस सच्‍चाई का समझ चुकी है। इसलिए अफगान सरकार बैकफुट पर आने के लिए व‍िवस है।

उन्‍होंने कहा कि तालिबान ने एक रणनीति के तहत तेजी से अपना प्रभुत्‍व बढ़ाया है। उनका मकसद था कि तालिबान के अधिक से अधिक इलाकों पर कब्‍जा करके अफगान सरकार और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर दबाव बनाया जा सकता है। उन्‍होंने कहा तालिबान काफी हद तक अपनी रणनीति में सफल भी रहा है। उसने एक सप्‍ताह में 11 राज्‍यों पर कब्‍जा कर लिया है। काबूल से वह कुछ म‍िलों की दूरी पर है। ऐसे में अफगान सरकार के पास तालिबान के साथ समझौते के अलावा कोई विकल्‍प नहीं बचा है।

काबुल पर कब्जे में लग सकते हैं तीन महीने

बता दें कि तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान के 10वें राज्य की राजधानी गजनी पर कब्जा कर लिया। यहां के गवर्नर ऑफिस, पुलिस हेडक्वार्टर और जेल पर अब सरकार का नियंत्रण नहीं है। अब उन पर तालिबान के आतंकियों का कब्जा है। अमेरिका सहित कई देशों के विशेषज्ञ मानकर चल रहे थे कि तालिबान को काबुल कब्जाने में 3 से 6 महीने का समय लग सकता है, लेकिन उनके दावे गलत साबित होते नजर आ रहे हैं। गजनी और काबुल की दूरी महज 150 किलोमीटर है। गजनी राज्य परिषद के प्रमुख नसीर अहमद फकीरी ने बताया कि गजनी प्रोविंस के कुछ शहरों में तालिबान और अफगान सेना के बीच झड़प जारी है। हालांकि उन्‍होंने कहा ज्यादातर हिस्सा आतंकियों की गिरफ्त में आ चुका है। तालिबान भी गजनी पर कब्जे का ऐलान कर चुका है।


 

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