JDU के अगले अध्‍यक्ष की रेस में आगे चल रहे कुशवाहा व ललन; CM नीतीश की पसंद कौन, लग रहे कयास

बिहार की सियासत (Bihar Politics) से जुड़ी इस बड़ी खबर के लिए 31 जुलाई तक इंतजार करना पड़ेगा। हम बात कर रहे हैं सत्‍ताधारी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अगले अध्‍यक्ष (JDU National President) की घोषणा की। वर्तमान अध्‍यक्ष आरसीपी सिंह (RCP Singh) के केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उनकी जह किसी और को अध्‍यक्ष बनाया जाना तय है। दौड़ (Race) में उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) व ललन सिंह (Lalan Singh) के नाम आगे चल रहे हैं। अब देखना यह है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) उपेंद्र कुशवाहा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर जेडीयू में 'लव-कुश समीकरण' को मजबूत करते हैं या ललन सिंह को मौका देकर अपनी सोशल इंजीजियरिंग (Social Engineering) में अगड़ों (Forward Class) को साधते हैं।

जेडीयू में महत्‍वपूर्ण पदों पर 'लव-कुश' प्रभुत्‍व

जेडीयू में सरकार से लेकर संगठन तक देखें तो मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से ही वर्तमान अध्‍यक्ष व हाल ही में कैबिनेट मंत्री बने आरसीपी सिंह भी आते हैं। दोनों कुर्मी (Kurmi) समाज से हैं। नए अध्यक्ष की दाैड़ में शामिल उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष हैं। वे कोइरी (Koiri) समाज से हैं। पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) भी कोइरी समाज से हैं। स्‍पष्‍ट है कि जेडीयू में महत्‍वपूर्ण पदों पर 'लव-कुश समीकरण' को साधने की कोशिश की गई है। हालांकि, इससे अन्‍य जातीय समीकरणों को साधने की सोशल इंजीनियरिंग का सवाल जरूर खड़ा हो गया है।

मजबूत दिख रही है ललन सिंह की दावेदारी 

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी में 'लव-कुश' प्रभुत्‍व को देखते हुए नए राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का पद उपेंद्र कुशवाहा को देने से असंतोष से वाकिफ हैं। ऐसे में अगर उनको अध्यक्ष बनाया जाता है तो काेइरी समाज से आने वाले प्रदेश जेडीयू अध्‍यक्ष उमेश कुशवाहा को हटाया जा सकता है। उमेश कुशवाहा को नहीं हटाए जाने की स्थिति में 'लव-कुश' से हटकर कोई और बड़ा नाम राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष के रूप में समाने आ सकता है। पार्टी में ललन सिंह, विजय चौधरी व संजय झा जैसे ऐसे कुछ बड़े नाम हैं, लेकिन इनमें से विजय चौधरी व संजय झा बिहार सरकार में मंत्री हैं। 'एक व्‍यक्ति एक पद' के सिद्धांत को देखें तो वे दौड़ से बाहर हैं। ऐसे में ललन सिंह की दावेदारी मजबूत होती दिखती है। पहले प्रदेश अध्यक्ष रह चुके ललन सिंह न केवल नीतीश कुमार के विश्‍वासपात्र रहे हैं, बल्कि उनके पास संगठन चलाने का लंबा अनुभव भी है।

उपेंद्र कुशवाहा भी अध्‍यक्ष की दौड़ में शामिल

उपेंद्र कुशवाहा की बात करें तो नीतीश कुमार ने अपने इस पुराने सहयोगी को फिर साथ लाया है। मकसद पार्टी को मजबूती देना है। जेडीयू में आने के तीन महीने के अंदर ही वे पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष हैं। उन्हें विधान पार्षद भी बना दिया गया है। और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में भी शामिल माना जा रहा है। जेडीयू में आने के पहले वे राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उपेंद्र कुशवाहा के पास भी संगठन चलाने का लंबा अनुभव है। हालांकि, उनके अध्‍यक्ष बनने पर पार्टी के पुराने बड़े नेताओं में असंतोष से इनकार नहीं किया जा सकता है। वे पार्टी में अभी नए हैं। जहां तक उपेंद्र कुशवाहा की बात है, उन्‍होंने खुद को अध्‍यक्ष पद की दौड़ से अलग बताया है।

जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का इंतजार

बहरहाल, तमाम कयासों के बीच यह बात तय है कि जो मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार चाहेग, वही होगा। इसके लिए 31 जुलाई को दिल्ली में होने जा रही जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का इंतजार है।

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