करारी हार के बावजूद बंगाल में वाममोर्चा के साथ गठबंधन बरकरार रखना चाहती है कांग्रेस, अब्दुल मन्नान ने सोनिया गांधी को लिखा पत्र

माकपा भले हालिया संपन्न बंगाल विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाने के लिए वाममोर्चा-कांग्रेस में हुए गठबंधन को जिम्मेदार ठहरा रही हो और इसे बरकरार रखने के मूड में न हो लेकिन कांग्रेस गठबंधन को जारी रखना चाहती है। बंगाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अब्दुल मन्नान ने इसे लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखा है।

मन्नान का कहना है कि बंगाल में भाजपा से लोगों का मोहभंग हो रहा है इसलिए वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन का बरकरार रहना जरूरी है। मन्नान ने आगे कहा कि विधानसभा चुनाव में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन से हताश होने की जरूरत नहीं है बल्कि भविष्य की ओर देखना होगा। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में वाममोर्चा और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली।बंगाल विधानसभा चुनावों के इतिहास में यह पहला मौका है जब वाममोर्चा और कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई है। गठबंधन में शामिल फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट ही एकमात्र सीट जीत पाई।

भाजपा ने इस बार जो 77 सीटें जीती है, उनमें से 45 पर पिछली बार तृणमूल ने जीत दर्ज की थी। तृणमूल 2016 में जीती गई 209 सीटों में से 107 पर इस बार कब्जा बरकरार रखने में सफल रही है। उसने वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन द्वारा 2016 में जीती गई 52 सीटों पर जीत दर्ज करके 200 का आंकड़ा पार किया है।

समीक्षा रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की जनता के मन में तृणमूल के प्रति विरोधी मानसिकता थी लेकिन भाजपा के प्रचार के तरीके से यह उसी की तरफ शिफ्ट कर गया। इस कारण तृणमूल के खिलाफ एम्फन के फंड की लूट, राज्य में अराजकता व अलोकतांत्रिक स्थिति जैसे मसलों को उठाया नहीं जा सका।जनता ने तृणमूल को भाजपा के खिलाफ प्रमुख शक्ति के तौर पर मान लिया। तृणमूल विभिन्न सरकारी प्रकल्पों में जनता का समर्थन प्राप्त करने में भी सफल रही। माकपा का मानना है कि तृणमूल और भाजपा में वोटों का ध्रुवीकरण भी वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन की हार की एक प्रमुख वजह है। एक और वजह यह है कि गठबंधन जनता से मजबूती से जुड़ नहीं पाया और उसे लोगों का विश्वास हासिल नहीं हो पाया। 

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