मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर कलकत्ता हाइकोर्ट में होगी चिटफंड के सभी मामलों की सुनवाई

फर्जी वित्तीय संस्थानों में पैसा जमा कर ठगे गए लोगों के हित में कलकत्ता हाइकोर्ट में जनहित याचिका लगाई जा सकेगी। यह निस्संदेह राज्य में चिटफंड मामलों की सुनवाई में अदालत का एक बड़ा कदम है। कलकत्ता हाई कोर्ट में चिटफंड के मामलों की सुनवाई लंबे समय से नहीं हो रही है। इसलिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने पीड़ितों की शिकायतों के बाद विभिन्न मामलों की जानकारी तलब की। पहले मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सात जून को करेगी। उच्च न्यायालय में चिटफंड से जुड़े कई मामले दायर किए गए हैं। सौ से ज्यादा मामले हैं। शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सभी मामलों को अपने न्यायालय में लेकर गए।

अवैध वित्तीय संस्थानों या चिटफंड में पैसा जमा कर लोग अपना सर्वस्व गवा चुके हैं। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर की एक विशेष पीठ ने उनके शीघ्र मुआवजे की मांग के लिए दिसंबर 2015 में एक विशेष पीठ का गठन किया था। वहीं सुनवाई हुई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने शुक्रवार को सभी मामलों की सुनवाई की पहल की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अब से वह सभी चिटफंड कंपनियों के सभी मामलों की सुनवाई करेंगे। इस फैसले ने जमाकर्ताओं को कुछ उम्मीद दी है। तालुकदार समिति ने 54 चिटफंड कंपनियों के मामलों को सुना है।

खंडपीठ उसकी सूची चाहता है। बताते चलें कि सारधा चिटफंड घोटाला बंगाल का एक बड़ा आर्थिक घोटाला है। इसमें कई बड़े नेताओं के नाम जुड़े हैं। इस घोटाले में करीब 40 हजार करोड़ की हेर-फेर हुई थी। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिए थे कि इस मामले की जांच करे। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल, ओडिशा और असम पुलिस जांच में सहयोग करने का आदेश दिया था।

सारधा चिटफंड की तरह ही रोज वैली घोटाले पर भी काफी वक्त से हड़कंप मचा हुआ है। इसमें कई बड़े नेताओं का नाम भी शामिल होने की बात सामने आ चुकी है। दरअसल, रोज वैली चिटफंड घोटाले में रोज वैली ग्रुप ने लोगों दो अलग-अलग स्कीम का लालच दिया और करीब एक लाख निवेशकों को करोड़ों का चूना लगा दिया था। इसमें आशीर्वाद और होलिडे मेंबरशिप स्कीम के नाम पर ग्रुप ने लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया।

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