अनुमंडल क्षेत्र के सोन तटीय इलाका सब्जी और मौसमी फल तरबूज ककड़ी खीरा आदि के उत्पादन के लिए मशहूर है। यहां से थोक व्यापारी बिहार विभिन्न शहरों के अलावा झारखंड के गढ़वा डालटेनगंज जपला समेत अन्य जगहों पर ले जाते हैं
खासकर सासाराम, डेहरी, तिलौथू समेत अन्य बाजारों में सोनटीला पर उत्पादित सब्जी और मौसमी फल लाकर खुदरा व्यवसाइयों के बीच बेचा करते हैं, परंतु लॉकडाउन के कारण बिहार और झारखंड के बीच नौहट्टा एव रोहतास प्रखंड के लोगो को आने जाने का एकमात्र साधन नौका बंद हो जाने और सड़कों पर यातायात की संख्या कम होने से थोक विक्रेता नही पहुंच पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बेमौसम बारिश कोढ़ में खाज बन गई। अधिकांश सब्जी व मौसमी फल खेत में ही सड़ गए।
सोनटीला निवासी शेषनाथ यादव, मदन यादव, अमेरिका बिंद समेत कई किसान बताते हैं कि सोनटीला की बाल पंचट भूमि में दशकों से हमारे पूर्वज रहकर सब्जी समेत फल का उत्पादन करते आ रहे थे। जिसे हमलोगों ने भी अपना लिया है।यहां की उत्पादित सब्जी ङ्क्षभडी करेला बोदी के साथ साथ मौसमी फल तरबूज, ककड़ी, अमरूद, खीरा कई शहरों में जाते हैं।
लॉकडाउन में यातायात की समस्या के चलते बाहरी व्यवसायी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सब्जी एवं मौसमी फल की मांग घट जाने से मूल्य में आई भारी गिरावट के चलते सब्जी उत्पादकों के चेहरे पीले पड़ गए हैं। गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी सोनटीला समेत अन्य भागाों के सब्जी उत्पादक किसानों की लॉकडाउन ने कमर तोड़ कर रख दी है। सब्जी की खेती उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। बाहरी व्यापारी के नहीं आने से सब्जी के उचित मूल्य नही मिल रहे है।
ऐसे में अब सस्ते दाम पर ही सही अधिकांश किसान गांव गांव में घूम घूमकर मौसमी फल और सब्जी बेचने पर मजबूर है। सब्जी और मौसमी फल उत्पादन में लागत भी निकालना मुश्किल हो गया है। कुछ लागत निकल जाए, जिसके लिए अपने निजी ट्रैक्टर पर फल और सब्जी लादकर गांव-गांव कौड़ी के भाव बेचना मजबूरी हो गया है। ताकि घर गृहस्थी किसी तरह चल सके। उन्होंने कहा कि तरबूज चार रुपए किलो, भिंडी, करेला, खीरा गांवों में पांच रुपये किलोग्राम के दर से बेचना पड़ रहा है।
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