प्राइवेट अस्‍पताल में भी मुफ्त में होगा कोरोना का इलाज, बिहार में आयुष्‍मान भारत कार्ड के लिए दर निर्धारित

Bihar CoronaVirus Update News: बिहार में प्राइवेट अस्‍पाल भी कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का उपचार मुफ्त में करेंगे। बशर्ते मरीज के पास आयुष्‍मान भारत योजना का हेल्‍थ कार्ड होना चाहिए। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने बताया कि आयुष्मान कार्ड पर कोरोना का उपचार करना है। इसके लिए इलाज के खर्च की दर निर्धारित की जा चुकी है। हालांकि हम आपको यह भी बता दें कि अब तक एक भी कोरोना मरीज का इलाज बिहार में आयुष्‍मान भारत योजना के तहत नहीं हुआ है। इसे विभाग भी स्‍वीकार कर रहा है। दरअसल अस्‍पताल मरीजों से ज्‍यादा पैसे ऐंठने की चाहत में आयुष्‍मान भारत योजना के मरीजों को भर्ती करने से बच रहे हैं। अगर आपके साथ भी निजी अस्‍पताल आयुष्‍मान भारत योजना के कार्ड पर इलाज करने से मना करता है तो इसकी शिकायत तुरंत ईओयू, स्‍थानीय जिला प्रशासन और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग से करें।

कोरोना के साथ अन्य रोगों का पैकेज नहीं है कम

राज्‍य में साधारण बेड के लिए 1800, ऑक्सीजन युक्त के लिए 2700, आइसीयू के लिए 3600 और वेंटिलेटर युक्त के लिए 4500 रुपये का पैकेज दिया गया था। इसके अलावा यदि रोगी कोरोना के साथ हृदय, निमोनिया या किडनी रोग से भी पीडि़त है तो उसके पैकेज के तहत साथ में भुगतान किया जाता है। अधिकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग जल्द ही कोरोना संक्रमितों के उपचार की नई दर जारी करने जा रहा है।

किसी ने नहीं की है शिकायत

पटना जिले में आयुष्मान भारत योजना के समन्वयक डॉ. मनोज भारती के अनुसार कोरोना संक्रमितों के इलाज की दर काफी पहले निर्धारित कर दी गई थी। उन्‍होंने कहा, किसी गोल्डेन कार्डधारी कोरोना संक्रमित ने अस्पतालों की शिकायत नहीं की है। हालांकि, उन्होंने माना कि इस दौरान किसी लाभुक ने निजी अस्पताल में कोरोना का उपचार भी नहीं कराया है। कोरोना काल में कुल 624 लोगों ने इलाज कराया, लेकिन वे कोरोना संक्रमित नहीं थे।

हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और है

समस्तीपुर निवासी दीनानाथ के 18 वर्षीय इकलौते पुत्र शुभम की जब कोरोना संक्रमण से हालत बिगड़ी तो वे आयुष्मान कार्ड लेकर मुफ्त इलाज की आशा में राजधानी चले आए। वह कई संबद्ध निजी अस्पताल गए, लेकिन किसी ने आयुष्मान पर कोरोना उपचार का नोटिफिकेशन नहीं होने तो किसी ने अन्य बहाना बनाया। हार कर उन्होंने एक बड़े निजी अस्पताल में पुत्र को भर्ती कराया। सालभर में लाख रुपये से भी कम की आय वाले दीनानाथ ने किसी तरह दो लाख रुपये जुटाए और जब पैसे खत्म हो गए तो हारकर पुत्र को पीएमसीएच ले गए। कोरोना काल में यह किसी एक व्यक्ति की कहानी नहीं है। आयुष्मान भारत कार्ड रखने वाले किसी भी व्यक्ति का राजधानी के किसी अस्पताल में इलाज नहीं हो सका। इसकी पुष्टि सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह से लेकर जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मनोज भारती तक करते हैं।

तरह-तरह के बहाने बनाकर अस्‍पतालों ने मचाई लूट

अप्रैल में कोरोना संक्रमण के चरम पर पहुंचने के दौरान सरकारी से निजी अस्पतालों तक के बेड फुल हो गए थे। निजी अस्पताल इस मजबूरी का फायदा उठा मोटा बिल बना रहे थे। वहीं सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज का वेंटिलेटर बेड पर पैकेज 4500 रुपये निर्धारित किया था। 10 गुना कम राशि पर आइसीयू व वेंटिलेटर बेड देने से बेहतर निजी अस्पताल आयुष्मान कार्डधारियों को वापस करने लगे। इसके लिए अस्पतालों ने सरकार से नोटिफिकेशन नहीं मिलने, बेड नहीं होने या निर्माण कार्य चलने का बहाना बनाया।


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