भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोरोना संकट के इस चुनौतीपूर्ण दौर में भी शेयर बाजारों के शीर्ष पर रहने को लेकर एक बार फिर चिंता जताई है। बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि बीते वित्त वर्ष के दौरान इकोनॉमी में लगभग आठ फीसद की नकारात्मक विकास दर के बावजूद शेयर बाजारों में इतना तेज उछाल शुभ संकेत नहीं है। इससे शेयर बाजार का बुलबुला फूटने का अंदेशा है। इकोनॉमी की सुस्ती के बीच पिछले कई महीनों से शेयर बाजारों की ऐसी चुस्ती को लेकर आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास पिछले कुछ समय से चिंता जताते रहे हैं।
अपनी रिपोर्ट में आरबीआइ ने कहा कि शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स ने इस वर्ष 21 जनवरी को 50,000 और 15 फरवरी को 51,000 का स्तर पार कर लिया। यह पिछले वर्ष देशव्यापी लॉकडाउन से ठीक पहले 23 मार्च के मुकाबले सेंसेक्स में 100.7 फीसद और बीते वित्त वर्ष (अप्रैल, 2020-मार्च, 2021) के दौरान 68 फीसद का उछाल दिखाता है।
बीते वित्त वर्ष के दौरान इकोनॉमी में अनुमानित आठ फीसद सिकुड़न को देखते हुए शेयर बाजारों का यह उछाल सामान्य नहीं है और यह बुलबुला फूटने का अंदेशा बहुत गहरा गया है।अपनी रिपोर्ट में बैंक ने यह भी कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष के दौरान बाजार में पूंजी की कमी कभी नहीं होने देगा। बैंक समय-समय पर मौद्रिक नीतियों के माध्यम से दखल देते हुए चालू वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान बाजार में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करेगा। केंद्रीय बैंक के अनुसार वित्तीय स्थिरता बरकरार रखते हुए वह बाजार में मौद्रिक प्रवाह जारी रखेगा।
महामारी की चिंता के चलते बाजार में नकदी चलन
आरबीआइ ने कहा है कि बीते वित्त वर्ष के दौरान बाजार में नकदी का सर्कुलेशन बढ़ा। इसकी मुख्य वजह यह रही कि लोगों ने कोरोना संकट के बीच विभिन्न आशंकाओं के चलते नकदी जमा कर ली। आरबीआइ के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में बाजार में नकदी की मात्रा 7.2 फीसद बढ़ी और उनका मूल्य 16.8 फीसद बढ़ गया।
आरबीआइ के अनुसार बीते वित्त वर्ष के दौरान मूल्य के लिहाज से चलन में रहे नोटों में से 500 रुपये और 2,000 रुपये के नोटों की कुल हिस्सेदारी 85.7 फीसद रही। मात्रा के लिहाज से चलन में सबसे ज्यादा 31.1 फीसद नोट 500 रुपये के थे। उसके बाद 23.6 फीसद हिस्सेदारी के साथ 10 रुपये के नोट सबसे ज्यादा चलन में रहे।
Post a Comment