कोरोना टीकाकरण का बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य बजट पर यह असर, सवाल यह कि बाकी काम के लिए कहां से आएग धन?

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में 18 साल से अधिक के सभी लोगों को कोरोना का मुफ्त टीका देने का निर्देश दिया है। विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी ने भी सबको कोरोना का टीका मुफ्त देने का वादा किया था। आगामी एक मई से यह टीकाकरण शुरू होने जा रहा है। हालांकि, आंकड़ों की मानें तो यदि राज्‍य सरकार सभी के लिए वैक्सीन की दोनों डोज का ऑर्डर देती है तो स्वास्थ्य विभाग के पास इस साल के लिए किसी भी अन्‍य काम के लिए पर्याप्‍त पैसे नहीं बचने जा रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी अन्‍य जरूरतों का क्‍या होगा?

सरकार को चार सौ रुपये में मिलगी एक डोज

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने बुधवार को कोविशील्ड वैक्सीन की जो नई कीमत तय की है, उसके अनुसार यह राज्य सरकारों के लिए 400 रुपए तथा निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपए प्रति डोज है। एसआइआइ के अनुसार वह वैक्सीन का उत्‍पादन तेजी से बढ़ाएगा। साथ ही उत्पादन का 50 फीसद भारत सरकार के वैक्सीनेशन अभियान तथा शेष 50 फीसद राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों को देगा।

वैक्‍सीन पर होगे 4,276 करोड़ 12 लाख खर्च

बिहार में 18 साल से उपर के लोगों को एक मई से मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा की गई है। बिहार में 18 से 49 साल के लोगों की जनसंख्‍या 53451606 है। एक मई से इतनी बड़ी जनसंख्‍या के लिए कोरोना टीकाकरण की व्‍यवस्‍था करनी होगी। उनके लिए वैक्‍सीन की पहली डोज पर सरकार को प्रति डोज चार सौ रुपये के हिसाब से 2138 करोड़ छह लाख 42 हजार 400 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। एक महीने बाद दूसरी डोज के लिए भी इतनी ही रकम चाहिए। अर्थात् 18 से 49 साल के सभी लोगों को कोरोना की वैक्‍सीन देने पर सरकार को 4,276 करोड़ 12 लाख 84 हजार 800 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। यह केवल सीआइआइ को देने वाली रकम है। वैक्‍सीन के रख-रखाव से लेकर उसे देने तक का खर्च अलग है।

स्‍वास्‍थ्‍य बजट में योजनाओं के लिए 6,900 करोड़

अब बात बिहार के स्‍वास्‍थ्‍स बजट की। राज्‍य सरकार ने साल 2021-2022 में स्वास्थ्य के लिए रुपए 13,264 करोड़ का प्रावधान किया है। इसमें 6,900 करोड़ की राशि योजनाओं पर खर्च की जानी है। स्‍वास्‍थ्‍य बजट की 6,300 करोड़ की राशि स्वास्थ्य संबंधी निर्माण कार्यों पर खर्च किए जाने हैं। अगर राज्‍य सरकार कोरोना वैक्‍सीन की अगली डोज के लिए ऑर्डर देती है तो योजनाओं के बजट में केवल 2,600 करोड़ रुपये ही शेष रहेंगे।

सवाल यह कि अन्‍य खर्चों के लिए क्‍या करेगी सरकार? 

कोरोना के अलावा बिहार में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी और भी कई जरूरतें हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शेष बचे 2,600 करोड़ रुपये से सरकार और क्‍या-क्‍या कर पाएगी? स्‍पष्‍ट है कि सरकार को वर्तमान बजट के अलावा कोई और प्रावधान करना पड़ेगा।

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