कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच बंगाल में आखिरी दौर का चुनाव, चार जिलों की 35 सीटों पर वोटिंग

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच बंगाल में आज आठवें व आखिरी चरण की वोटिंग हो रही है।आठवें चरण में चार जिलों की कुल 35 विधानसभा सीटों पर सुबह 7:00 बजे से मतदान शुरू हुआ। अंतिम चरण में जिन 4 जिलों की 35 सीटों पर वोट पड़ रहे हैं उनमें मालदा की 6, बीरभूम की 11, मुर्शिदाबाद की 11 और कोलकाता उत्तर की 7 सीट शामिल हैं।इस चरण में कुल 84 लाख 77 हजार 728 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसमें 43 लाख 55 हजार 835 पुरुष मतदाता हैं, तो 41 लाख 21 हजार 735 महिला मतदाता हैं, तो वहीं 158 ट्रांसजेंडर मतदाता भी अपने मत का प्रयोग करेंगे। इस चरण में 283 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। आठवें चरण में कुल मतदान केंद्रों की संख्या 11,860 है। शाम 6:30 बजे तक वोट डाले जाएंगे।

कोरोना के बावजूद वोटरों में उत्साह

इधर, बंगाल में वोटिंग शुरू होने से पहले ही मतदान केंद्रों पर मतदाता पहुंच कर कतार में लग गए। कोलकाता सहित चारों जिलों में विभिन्न बूथों पर सुबह से ही मतदाताओं की कतारें देखी जा रही है। कोरोना के बावजूद वोटरों में मतदान करने को लेकर उत्साह है।

आज देर शाम एग्जिट पोल भी होगा जारी

आज देर शाम 7:30 बजे के बाद बंगाल चुनाव का एग्जिट पोल भी जारी होगा, जबकि नतीजे दो मई को घोषित होंगे।

अंतिम चरण का सियासी समीकरण

अंतिम चरण की 35 सीटों पर मुस्लिम वोटर काफी अहम माने जा रहे हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से सियासी तस्वीर बदल गई है। मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद टीएमसी बनी थी, जिसके चलते उसे 19 सीटों पर बढ़त मिली थी। इसके अलावा 11 सीटों पर भाजपा और 5 सीटों पर कांग्रेस आगे रही थी। हालांकि, मालदा और मुर्शिदाबाद दो ऐसे जिले हैं, जहां मुस्लिम मतदाता टीएमसी के मुकाबले कांग्रेस को तरजीह देते रहे हैं।

टीएमसी, कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन व भाजपा के बीच मुकाबला

पिछले सात चरण में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला रहा है, तो 8वें चरण में टीएमसी और कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के बीच काटें की टक्कर होती नजर आ रही आ रही है। हालांकि भाजपा भी तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने के लिए पूरा जोर लगाई हुई है। यहां कांग्रेस और टीएमसी दोनों पार्टियों का सारा दारोमदार मुस्लिम मतदाताओं पर टिका है। मुस्लिम मतदाताओं के रुख पर ममता की बंगाल में वापसी की उम्मीदें टिकी हुई हैं, तो कांग्रेस के लिए अपने वजूद को बचाए रखने का सवाल है।

कांग्रेस के सामने किला बचाने की चुनौती

इधर, जिन 4 जिलों में अंतिम चरण में चुनाव हो रहे हैं उनमें मालदा व मुर्शिदाबाद जिला कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ माना जाता है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी के गृह क्षेत्र मुर्शिदाबाद जिले में माकपा-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन को अच्छे नतीजों की उम्मीद है। कांग्रेस मालदा जिले के अपने पारंपरिक गढ़ में भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है, जो कभी केंद्रीय मंत्री एबीए गनी खान चौधरी का गढ़ हुआ करता था। हालांकि, कांग्रेस को अपने पुराने नतीजे दोहराने व अपना किला बचाने की बड़ी चुनौती है। ऐसे में देखना है कि अंतिम चरण में सियासी तौर पर कौन बाजी मारता है।


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