बंगाल विधानसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है और आज तीसरे चरण का मतदान हो रहा है। इस चुनावी चौसर पर हिंदू-मुस्लिम पर दांव सभी पार्टियों की ओर से खेला जा रहा है। सूबे में चुनावी मुद्दा हरे कृष्ण, ममता बेगम, मीर जाफर, गोत्र, चंडी पाठ, जयश्रीराम, कलमा, मंदिर और मजार के इर्द-गिर्द घूम रहा है। ऐसा नहीं कि केवल तृणमूल और भाजपा के बीच ध्रुवीकरण का खेल चल रहा है। इसमें फुरफुरा शरीफ के मुस्लिम धर्मगुरु पीरजादा अब्बास सिद्दीकी को साथ लेकर वाममोर्चा व कांग्रेस भी पीछे नहीं है।
नंदीग्राम में जिस तरह से 70 बनाम 30 (70 प्रतिशत हिंदू और 30 फीसद मुस्लिम) को लेकर खेल हुआ है, उसके बाद ऐसा लग रहा है कि बाकी के चरणों में ध्रुवीकरण का खेल जबर्दस्त होने वाला है। दरअसल एक तरफ भाजपा नेता ‘जयश्रीराम’ के नारे बुलंद करते हुए मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी को तुष्टीकरण के मुद्दे पर घेर रहे हैं, वहीं तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी ने तो तृणमूल प्रमुख को ‘ममता बेगम’ संबोधित कर विभाजन की रेखा और बड़ी करने की कोशिश की है। उधर, ममता भी पीछे नहीं हैं। वे सुवेंदु को ‘मीर जाफर’ और ‘गद्दार’ कहने के साथ-साथ खुद को भाजपा नेताओं से बड़ा हिंदू और ब्राrाण सिद्ध करने की कोशिश कर रही हैं। वे मंच से ‘चंडी पाठ’ तो दूसरी ओर ‘कलमा’ पढ़ रही हैं। कहीं अपना ‘गोत्र’ तक बता रही हैं। अब तक वह 20 से अधिक मंदिरों का भी चक्कर लगा चुकी हैं। मजारों को भी नहीं भूल रही हैं। अपने संबोधनों में भाजपा को दंगाई, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने वाली पार्टी के साथ-साथ बाहरी, खुद को घर की बेटी और व्हील चेयर पर बैठकर पैर में लगी चोट को भाजपा का हमला बताने का भी दांव खेल रही हैं। यही नहीं, चुनाव आयोग और केंद्रीय बलों को भी कठघरे में खड़ा करने से परहेज नहीं कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर तो हर दिन सभाओं में ऐसी-ऐसी बातें कह रही हैं, जिसे लिखा भी नहीं जा सकता। मतदाताओं को भाजपा का भय दिखा रही हैं। वहीं भाजपा ‘जयश्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे बुलंद कर हिंदू मतदाताओं को गोलबंद कर रही है।
बंगाल में ध्रुवीकरण की सबसे बड़ी बानगी नंदीग्राम में हुई वोटिंग है। नंदीग्राम में 88 फीसद मतदान हुआ है, जो पिछले कई चुनावों से अधिक है। नंदीग्राम में लगभग 2.57 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 2.27 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। आंकड़ों के अनुसार, इन मतदाताओं में से 54 हजार मुस्लिम और बाकी 1.73 लाख हिंदू वोटर हैं। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर विश्वनाथ चक्रवर्ती का कहना है कि नंदीग्राम की वोटिंग से साफ लग रहा है कि सूबे में ध्रुवीकरण का खेल शुरू हो चुका है और यह निश्चित रूप से एक निर्णायक कारक साबित होगा।
अगर ममता व तृणमूल के अन्य नेताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अन्य भाजपा नेताओं के चुनाव प्रचार पर गौर करें तो पहले दो चरण में टोन कुछ अलग था। परंतु जैसे ही जंगलमहल से निकलकर चुनाव का तीसरा दौर कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना, हावड़ा और हुगली जिले में पहुंचा तो टोन कुछ और है। जंगलमहल की तुलना में इन जिलों में मुस्लिम आबादी अधिक है। जंगलमहल में चुनाव प्रचार के दौरान दोनों चरणों में ममता ने हिंदुत्व की बातें अधिक की थी। हालांकि कुछ इलाकों में मुसलमानों के साथ अन्य धर्म की भी बातें कर बैलेंस करने की भी कोशिश की थी। वहीं भाजपा नेताओं का भी संबोधन खांटी हिंदुत्व वाला था, लेकिन तीसरे चरण में स्थिति अलग दिख रही है। इन जिलों में सभा और रोड शो के दौरान ममता मुसलमानों को अल्लाह की दुहाई दे रही हैं और एकजुट होकर तृणमूल के पक्ष में वोट करने की अपील कर रही हैं। साथ ही, फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी को भाजपा का एजेंट करार दे रही हैं।
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर अन्य भाजपा नेताओं की जुबान पर हुगली, हावड़ा और दक्षिण 24 परगना जिले में जयश्रीराम के नारे बुलंद हो रहे हैं और ममता को तुष्टीकरण के जरिये घेर रहे हैं। हालांकि शनिवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 40 फीसद मुस्लिम आबादी वाले दक्षिण 24 परगना और हुगली जिले में सभा की तो उनका एक मुस्लिम युवक के कंधे पर हाथ रखकर उनकी बातें कानों में सुनने वाली तस्वीर मीडिया में आ गई तो कुछ और बातें होने लगीं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि भाजपा ममता के मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश में है। चुनावी सभा के दौरान मुस्लिम युवक के कंधे पर हाथ रखकर मोदी द्वारा एकदम करीब से उसकी बातों को सुनने वाली तस्वीर को जानकार बैलेंस पॉलिटिक्स बता रहे हैं, ताकि विरोधी भाजपा को लेकर जो भ्रम फैला रहे हैं, उसे समय रहते दूर किया जा सके, पर इस महासमर में ध्रुवीकरण किसका खेल बनाएगा और किसका खेल खत्म करेगा, यह तो दो मई को ही पता चलेगा।