बैंकों के विलय से कई खाताधारकों को हो रही असुविधा, पेंशनर सबसे ज्यादा परेशान

सरकार का वादा था कि साथ मिलने के बाद बैंक ग्राहकों को ज्यादा सुविधाएं व त्वरित सेवाएं मुहैया करा पाएंगे। लेकिन, बैंकों के विलय के एक साल बाद बदले हुए नियमों की वजह से ग्राहकों को मिलने वाली सुविधाएं भी विलीन हो गई हैं। फिलहाल, 10 सार्वजनिक बैंकों के उपभोक्ता सांसत में हैं। एक अप्रैल से चार बैंकों में विलय हुए छह बैंकों के चेकबुक व पासबुक जैसे दस्तावेज अब मान्य नहीं हैं। इसके अलावा बैंक खाता संख्या व शाखाओं के नाम के साथ ही आइएफएससी (इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम कोड) भी बदल गए हैं। इससे ग्राहकों को परेशानी हो रही है। कई ग्राहक पुराने बैंक की तरफ से जारी एटीएम कार्ड से पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं।

इन बैंकों का हुआ था विलय

पिछले वर्ष इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक, ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स व यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक तथा आंध्रा बैंक व कार्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया गया था। इस तरह 10 बैंक की जगह चार बैंक अस्तित्व में आए।

एक अप्रैल से बढ़ी मुश्किल

एक अप्रैल तक इस विलय की वजह से उपभोक्ताओं को कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन एक अप्रैल से सब बदल गया। बदलावों की वजह से बचत व चालू खाता के साथ ही पेंशनधारकों को भारी परेशानी हो रही है। व्यापारियों व उद्यमियों को ओवर ड्राफ्ट (ओडी) भुगतान रुकने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि ज्यादातर सार्वजनिक बैंकों का तकनीकी ढांचा पहले से ही सुस्त और बोझ तले दबा है, ऐसे में अचानक विलय हुए बैंक के ग्राहकों का भारी-भरकम डेटा इन बैंकों को हांफने के लिए मजबूर कर रहा है।ओवर ड्राफ्ट पर लगी है रोक

फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव बताते हैं कि उनका खाता सिंडिकेट बैंक में था, जो अब केनरा बैंक में विलय हो चुका है। अभी तक तो कामकाज ठीक चल रहा था, पर एक अप्रैल से चेक मान्य नहीं रहे। इसलिए भुगतान में दिक्कत आ रही है। इसी तरह ओडी भुगतान पर रोक से कारोबार में दिक्कतें बढ़ गई हैं।

नहीं निकल रहा वेतन

साहिबाबाद के शक्ति खंड चार निवासी विकास बताते हैं कि उनका वेतन सिंडिकेट बैंक के खाते में आता था। अब इस बैंक का विलय केनरा बैंक में हो गया है। उनके पास जो चेक बुक है, अब उससे न तो पैसा निकल रहा है और न ही किसी को भुगतान हो पा रहा है। अब दोबारा चेक बुक बनवानी है, लेकिन इसके लिए चार्ज देना पड़ेगा, जबकि उपभोक्ताओं से कोई शुल्क नहीं लेना चाहिए।

जरूरत के वक्त नहीं मिल रहे पैसे

शालीमार गार्डन निवासी राम अवतार का कहना है कि उनका इलाहाबाद बैंक में खाता था, जिसका विलय इंडियन बैंक में हो गया है। उन्होंने खुद के साथ बेटे यश की एफडी कराई थी, जो पूरी हो गई है। कोरोना काल में काम बंद है। पैसों की जरूरत है, लेकिन पैसा नहीं मिल पा रहा है।

अटकी पेंशन, टूटी हिम्मत

एनआइटी तीन निवासी बसंती बताती हैं कि उनका खाता स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में था, बड़े आराम से काम हो जाता था। स्टाफ भी सहयोगी था। अब उनके बैंक का विलय स्टेट बैंक आफ इंडिया में हो गया है, जब से विलय हुआ है, तब से ही वृद्धावस्था पेंशन मिलने में परेशानी हो रही है। गुजारा पेंशन पर ही होता है और समय पर पेंशन न मिलने से अपनी बीमारी की दवा भी नहीं ले पाती हैं। अधिकारी हर बार अगले महीने पेंशन समय पर आने की बात कह देते हैं। 70 साल की उम्र में चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इसलिए अब कार्यालय जाने की भी हिम्मत नहीं होती।


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