करीबन एक साल से कोरोना को लेकर सभी पर्व सादगी के साथ मनाई गई है। इस बार होली को लेकर शहर के लोग पूरी तरह होलियाना मुड में है। लोगों को होली का बेसब्री इंतजार है। शहर में जगह- जगह होली मिलन समाराेह में यह पुरी तरह नजर आ रही है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन मनाई जाएगी। लोगों की मान्यता है कि होलिका दहन के साथ बुराइयों का भी दहन होता है और बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। होलिका दहन की परंपरा फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि यानी कि पूर्ण चंद्रमा की रात को मनाई जाती है जिसका विशेष महत्त्व है। इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च को मनाया जाएगा। और इसके अगले दिन होली मनाई जाएगी।
इस बार होली 499 साल बाद बन रहा है दुर्लभ योग:
खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय के अनुसार इस बार होली पर 499 सालों के बाद एक दुर्लभ योग बन रहा है। साथ ही दो खास संयोग बन रहे हैं। इस बार की होली सर्वार्थसिद्धि योग में मनाई जाएगी और होली पर अमृतसिद्धि योग भी रहेगा।
इसलिए इस बार की होली बहुत ही खास रहेगी। होली पर इस बार ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस तरह से ग्रहों का योग 499 साल पहले 3 मार्च 1521 को बना था।
होली का क्या महत्व:
इस त्यौहार को लेकर लोगों की सामाजिक महत्व बहुत अधिक है। कहा गया है कि इस दिन आपसी मतभेद को भुलाकर एक हो जाते हैं। मान्यता है कि अगर इस दिन लाल व गुलाबी रंग का गुलाल किसी को लगाया जाए तो हर तरह के मतभेद दूर हो जाते हैं। यह रंग प्यार और सौहार्द का प्रतीक माना गया है। इससे दो लोगों के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ता है। इस दिन हर तरह की नकारात्मक शक्तियों का होलिका में डालकर दहर कर दिया जाता है। इस दिन सकारात्मकता की शुरुआत होती है।
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