उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) से मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स में सिर्फ 0.51 फीसद को ही फंड ऑफ फंड्स का लाभ मिला है। यह जानकारी वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में दी गई है। समिति ने स्टार्ट-अप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स स्कीम के तहत अतिरिक्त आवंटन की सिफारिश भी की है। इस काम के लिए डीपीआईआईटी को वित्त मंत्रालय से बात करने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 43,186 स्टार्ट-अप्स डीपीआइआइटी से मान्यता प्राप्त हैं। स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहयोग देने के लिए सरकार की तरफ से 10,000 करोड़ रुपये के फंड ऑफ फंड्स की स्थापना की गई है।
स्मॉल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) के माध्यम से इस फंड से स्टार्ट-अप्स को वित्तीय मदद दी जाती है। समिति ने मान्यता प्राप्त मात्र 0.51 फीसद स्टार्ट-अप्स को वित्तीय लाभ मिलने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस वजह से इन कंपनियों की व्यावसायिक व्यावहारिकता पर विपरीत असर पड़ेगा। समिति ने डीपीआइआइटी से कहा है कि इतनी कम संख्या में स्टार्ट-अप्स को फंड मिलने के कारणों की जांच होनी चाहिए।
समिति ने फंड ऑफ फंड्स से स्टार्ट-अप्स को सही मात्रा में वित्तीय मदद सुनिश्चित कराने के लिए डीपीआईआईटी को उचित कदम उठाने के लिए भी कहा।
समिति ने पाया कि सिडबी की तरफ से फंड की जितनी जरूरत दिखाई गई, उसके मुकाबले 58.5 फीसद कम फंड का आवंटन किया गया। समिति ने चिंता जताते हुए कहा कि कोरोना के असर से रिकवरी, क्षमता में बढ़ोतरी और रोजगार सृजन के लिए स्टार्ट-अप्स को फंड की जरूरत है।
मात्र 18 फीसद स्टार्ट-अप्स जेम पोर्टल पर रजिस्टर्डरिपोर्ट के मुताबिक डीपीआइआइटी से रजिस्टर्ड 7,929 स्टार्ट-अप्स ही गवर्नमेंट ई-मार्केट (जेम) पर रजिस्टर्ड हैं जो डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त कुल स्टार्ट-अप्स का 18.36 फीसद है। समिति ने आश्चर्य जाहिर करते हुए कहा कि सरकारी पोर्टल पर बिक्री के भारी अवसर के बावजूद इतनी कम संख्या में पोर्टल के पंजीयन के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए। समिति ने स्टार्ट-अप्स को जेम पोर्टल पर पंजीयन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा है।
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