पंजाब में इस बार कांग्रेस नहीं यह पार्टी बना सकती है सरकार

न्यूज डेस्कः कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में भारी आंदोलन का असर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल को बल्कि सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इन आंदोलनों का अगर किसी को फायदा होता दिख रहा है तो वह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी है। पिछले चुनाव में भी आप ने प्रदेश में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई थी।

शुक्रवार को एबीपी न्यूज के पंजाब में कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि अगर आज चुनाव होते हैं तो इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। सर्वे के मुताबिक, पार्टी को 31 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 77 सीटें पाने वाली कांग्रेस सिर्फ 46 सीटों पर सिमट सकती है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 34 सीटों के फायदे के साथ 54 सीटें पा सकती है। बीते चुनाव में उसे सिर्फ 20 सीटें मिल सकती हैं। यह आंकड़ा बताता है कि प्रदेश में झाड़ू की लोकप्रियता किस कदर बढ़ रही है।

बीजेपी-अकाली दल की क्या रहेगी स्थिति

बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल की बात करें तो बीते विधानसभा चुनाव में दोनों ने एक साथ चुनाव लड़ा था। उन्हें सिर्फ 18 सीटें मिली थीं और वह आप से भी एक स्थान नीचे रहे। इस बार दोनों पार्टियों में कृषि कानूनों को लेकर मतभेद हुए। अकाली दल की केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया और बाद में अकाली गठबंधन से भी अलग हो गई। सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक, कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन से अकाली दल को नुकसान होता नहीं दिख रहा है लेकिन फायदा भी होने की संभावना नहीं है।

सर्वे के अनुसार, अकाली को पिछली बार की तरह 15 सीटें मिल सकती हैं। वहीं बीजेपी को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछली बार जहां उसे तीन सीटें मिली थीं, इस बार सिर्फ दो सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है।

सिद्धू सबसे लोकप्रिय कैंडिडेट

कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह की लोकप्रियता भी कम हुई है। सर्वे के मुताबिक, सिर्फ 23 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सिद्धू कांग्रेस को बेहतर नेतृत्व दे सकते हैं। वहीं 43 प्रतिशत लोगों ने सिद्धू के पक्ष में अपनी राय दी। 26 फीसदी लोगों ने दोनों को ही बेहतर नहीं माना है। 43 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पंजाब में सरकार बना सकती है। 32 प्रतिशत लोगों ने इससे सहमति नहीं जताई है। 25 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें नहीं पता।

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