सॉल्टलेक में विकास भवन के पास गत 18 दिसंबर से धरना दे रहे राज्य के विभिन्न स्कूलों के पारा टीचर्स को शुक्रवार को राज्य सचिवालय नबान्न पहुंचने से पहले ही पुलिस ने रोक दिया। पारा टीचर्स अपने पूर्वनिर्धारित नबान्न अभियान के तहत जैसे ही सुबोध मल्लिक स्क्वायर से आगे बढ़े, पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसमें सात शिक्षक बुरी तरह से जख्मी गए, जबकि 60 को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ये लोग जुलूस की शक्ल में राज्य सचिवालय जाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलना चाहते थे। पर नबान्न पहुंचने से पहले ही उन पर पुलिस ने लाठियां बरसा दीं। इस संबंध में पारा टीचर्स ऐक्य मंच के संयुक्त संयोजक भगीरथ घोष व मधुमिता बंद्योपाध्याय ने रोष जताया। उन्होंने कहा कि सुबोध मल्लिक स्क्वायर से नबान्न अभियान के लिए पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर से पहले ही अनुमति ली गई थी, फिर भी उन्हें रोक दिया गया। लाठीचार्ज व धक्का-मुक्की से घायल सात पारा शिक्षकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पारा शिक्षकों ने खून से लिखी थी चिट्ठी
मालूम रहे कि इससे पहले अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में पारा शिक्षकों ने खून से चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री को भेजी थी और अपनी समस्या के समाधान की अपील की थी। लंबे आंदोलन के बावजूद उनकी मांगों पर मुख्यमंत्री ने विचार नहीं किया। भगीरथ घोष ने बताया कि पारा शिक्षक लंबे समय से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, पर न तो उनका वेतनमान दुरुस्त किया गया है, न ही उन्हें स्थायी शिक्षक का दर्जा दिया गया है। हालांकि, शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने गत वर्ष आश्वस्त किया था कि उनका वेतनमान ठीक किया जाएगा, पर आज तक कुछ नहीं किया गया है।
आर्थिक तंगी के कारण जान दे चुके हैं कई शिक्षक
उल्लेखनीय है कि बंगाल के विभिन्न स्कूलों में लगभग 48,000 पारा टीचर्स हैं, जो निर्धारित ग्रेड पे से कम वेतन पर काम कर रहे हैं। उनकी शिकायत है कि फिलहाल प्राइमरी के पारा टीचर को मात्र 8,800 रुपये और अपर प्राइमरी के पारा शिक्षकों को 11,330 रुपये का मासिक वेतन मिल रहा है। अन्य राज्यों में पारा शिक्षकों को इससे कहीं ज्यादा वेतन मिल रहा है। आर्थिक तंगी के कारण राज्य के कई पारा शिक्षक अपनी जान दे चुके हैं।
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