अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का मामला बंद हो गया है। वह दूसरी बार महाभियोग के मामले में बरी हुए। शनिवार को महाभियोग की प्रक्रिया को लेकर सीनेट में वोटिंग हुई। इस दौरान 57 वोट उनके खिलाफ पड़े और 43 उनके पक्ष में पड़े। ऐसे में उन्हें दोषी करार देने के लिए दो तिहाई बहुमत नहीं मिल सका। 100 सदस्यीय सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के 50-50 सदस्य हैं। ट्रंप के खिलाफ कैपिटल हिल यानी संसद परिसर पर गत छह जनवरी को हुए हमले के लिए अपने समर्थकों को भड़काने के आरोप था।
इससे पहले अमेरिकी संसद के उच्च सदन में ट्रंप के खिलाफ गवाहों को बुलाने का फैसला 55-45 की अनुपात से हो गया था, लेकिन गवाही में ज्यादा समय लगने की आशंका में दोनों पक्षों के बीच गवाहों को नहीं बुलाने पर सहमति बन गई। इससे राष्ट्रपति जो बाइडन के कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा करने में देरी होती। डेमोक्रेटिक पार्टी के ज्यादातर सदस्य चाहते थे कि ट्रंप के खिलाफ सुनवाई हो और उन्हें सजा भी मिले। लेकिन वह यह भी जानते थे कि गवाही शुरू हुई तो लंबी चलेगी और बाइडन प्रशासन के कोरोना राहत समेत अन्य कई अहम प्रस्तावों पर सीनेट में चर्चा नहीं हो पाएगी।
दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी, जिसके बाद डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य गवाहों को बुलाने से पीछे हटे और रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य बड़ी संख्या में गवाहों को पेश करने का विचार छोड़ दिया। हाउस के महाभियोग प्रबंधक मेरीलैंड से रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य जेमी रस्किन ने कहा कि भीड़ को उकसाने में ट्रंप की भूमिका तय करने के लिए गवाही जरूरी थी।
सुनवाई के दौरान ट्रंप के वकीलों ने आक्रमक तरीके से बचाव किया
इससे पहले, सुनवाई के दौरान ट्रंप के वकीलों ने आक्रमक तरीके से उनका बचाव किया। उनका कहना था कि अगर गवाहों को बुलाने के पक्ष में मतदान हुआ तो वो 100 से भी ज्यादा गवाहों को पेश करेंगे। वकीलों ने ट्रंप को घेरने वाले डेमाक्रेट्स को पाखंडी और बदले पर उतारू जमात तक करार देने से गुरेज नहीं किया। वकीलों का साफ कहना है कि महाभियोग की कार्यवाही राजनीति से प्रेरित और बदले की भावना से की जा रही है। इसका कोई आधार नहीं है। ट्रंप ने भीड़ को भड़काया नहीं था। उन पर यह आरोप सुनियोजित और बड़े साजिश का हिस्सा है। बता दें कि कैपिटल यानी संसद परिसर पर गत छह जनवरी को ट्रंप समर्थकों ने हमला किया था।
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