वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। वह ऐसे समय में यह बजट पेश करने जा रही हैं जब पिछले डेढ़ माह से पंजाब और हरियाणा कि किसान नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर लगी होंगी कि सरकार किसानों को लेकर बजट में किस तरह के प्रावधान करती है। नए कृषि कानूनों को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ उपायों की घोषणा कर सकती है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
इसी को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत किसानों को हर वित्त वर्ष में तीन बराबर किस्तों में 6,000 रुपये की रकम भेजती है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए दो लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। इनमें से अधिकतर आवंटन छोटी अवधि के नकद प्रोत्साहन और सब्सिडी के मद में दिया गया। इस सेक्टर के बुनियादी ढांचे से जुड़े विकास के लिए बहुत सीमित फंड्स का आवंटन किया गया था।
हालांकि, सरकार ने पहले आत्मनिर्भर भारत प्रोग्राम के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए अतिरिक्त आवंटन किया था।
कृषि और इससे जुड़े सेक्टर पर फोकस बने रहने की उम्मीद है। सरकार किसानों की आय को बढ़ाना चाहती है। ऐसे में कृषि सेक्टर से जुड़े इन्फ्रास्क्चर पर विशेष जोर दिया जा सकता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की बुनियादी ढांचे से जुड़ी तमाम योजनाओं के लिए अतिरिक्त फंड के आवंटन से भी कृषि क्षेत्र की तस्वीर में बदलाव देखने को मिलेगा। देश के किसान उचित भंडारण सुविधाएं चाहते हैं। इससे सरप्लस उत्पादन पर उन्हें कृषि उत्पादों को घाटे के साथ औने-पौने दामों पर बेचने की बाध्यता खत्म हो जाएगी।
बिहार के किसान मंतोष कुमार बताते हैं कि हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि नई टेक्नोलॉजी को अपनाने पर हमें सरकार की ओर से विशेष प्रोत्साहन और छूट मिले। इसके अलावा कृषि सेक्टर के लिए खरीदी जाने वाली मशीनों पर जीएसटी से छूट की भी हम जरूरत महसूस करते हैं।
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