US कैपिटल दंगे के बाद ट्रंप पर दूसरी बार चलाया गया महाभियोग, दो दफा ऐसी कार्रवाई झेलने वाले पहले राष्ट्रपति बने

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ बुधवार को अमेरिकी हाउस द्वारा ऐतिहासिक दूसरी बार महाभियोग चलाया गया। इस महाभियोग प्रस्ताव में ट्रंप पर छह जनवरी को 'राजद्रोह के लिए उकसाने' का आरोप लगाया गया है। प्रतिनिधि सभा ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है। महाभियोग प्रस्ताव के दौरान पक्ष में 232 वोट तो विपक्ष में 197 वोट गिरे। वहीं, दस रिपब्लिकन सांसदों ने भी महाभियोग के पक्ष में वोट डाला। 

रायटर के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप महाभियोग के मुकदमे में खुद के बचाव के लिए एक कानून के प्रोफेसर को नियुक्त कर सकते हैं, जो इस मामले में उनकी मदद कर सके। बता दें कि यह प्रोफेसर जॉन ईस्टमैन

नामक प्रोफेसर की यहां बात हो रही है, जो 6 जनवरी को ट्रंप की भड़काऊं रैली में भी मौजूद थे।

बता दें कि जब तक ट्रंप के खिलाफ महाभियोग को लेकर कार्रवाई होगी तब तक उनका चार साल का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। 20 जनवरी को जो बाइडन नए अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं।

प्रतिनिधि सभा की स्पीकर और डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य नैंसी पेलोसी ने कहा कि ट्रंप को हटाया जाना चाहिए, क्योंकि वह अमेरिका के लिए स्पष्ट खतरा बन गए हैं। प्रतिनिधि सभा में कई रिपब्लिकन सदस्यों ने भी महाभियोग प्रस्ताव पर समर्थन का एलान किया है। इनमें जॉन काटको, लिज चेनी, एडम किंजिंगर, फ्रेड अप्टॉन और जेमी ब्यूटलर शामिल हैं। न्यूयॉर्क से सांसद काटको महाभियोग का समर्थन करने वाले पहले रिपब्लिकन हैं।

महाभियोग प्रस्ताव पर सीनेट की मुहर जरूरी है। सीनेट की अगली बैठक 19 जनवरी को होनी है जबकि 20 जनवरी को ट्रंप के कार्यकाल का आखिरी दिन होगा। उम्मीद लगाई जा रही है कि अब 19 जनवरी को सीनेट में ये प्रस्ताव लाया जाएगा। बता दें कि अमेरिकी संसद पर गत छह जनवरी को हुए हमले के मामले की छानबीन में तेजी आई है। एफबीआइ ने 160 से ज्यादा जांचें शुरू की हैं। अधिकारियों ने बताया कि हमले में शामिल रहे ट्रंप के कुछ वफादार समर्थकों के खिलाफ देशद्रोह के मामले चलाने पर विचार हो रहा है।

इससे पहले प्रतिनिधि सभा ने ट्रंप के खिलाफ 18 दिसंबर 2019 को महाभियोग के तहत आरोप पारित किया था। हालांकि, उस समय रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था। आरोप थे कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर दबाव डाला कि वे बाइडन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार के दावों की जांच करवाएं।

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