कोरोना वैक्सीनेशन: देश में 260 से ज्यादा सेंटर पर चला ड्राई रन, क्या हैं इसके मायने?


आपने अंग्रेजी की एक कहावत जरूर सुनी होगी - Practice makes a man perfect. हिंदी में इस कहावत का अर्थ ये है कि अभ्यास करने से इंसान किसी काम को करने में महारत हासिल कर लेता है. ऐसा ही एक अभ्यास शनिवार को पूरे देश ने किया है. कोरोना वैक्सीनेशन के ड्राई रन को सफलतापूर्वक पूरा करके. देश के लगभग 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनिंदा सेंटर्स पर कोरोना वैक्सीनेशन की फुल ड्रेस रिहर्सल हुई. 

ये ड्राई रन, सभी राज्यों की राजधानियों के अलावा प्रमुख बड़े शहरों में भी किया गया. इसमें कोरोना वैक्सीनेशन की तैयारियों को परखा गया. इनमें वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन से लेकर स्टोरेज और लोगों को वैक्सीन लगाने की ठीक वैसी ही प्रक्रिया अपनाई गई, जो प्रक्रिया असली वैक्सीनेशन के लिए तय की गई है. 

इस ड्राई रन में सिर्फ वैक्सीन नकली थी, बाकी सब असली था. इसमें 125 जिलों के 260 से ज्यादा सेंटर शामिल थे. हर सेंटर में 25 लोगों को वैक्सीन की डमी डोज लगाई गई. ये एक तरह से कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत से पहले फाइनल रिहर्सल थी जिसके बाद अब जल्द ही असली वैक्सीनेशन की शुरुआत हो सकती है.

ये ड्राई रन इसलिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि देश को दो कोरोना वैक्सीन मिल गई हैं. एक का नाम है कोविशील्ड, जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है और अब जल्द ही कोरोना वैक्सीनेशन की डेट का ऐलान भी हो सकता है. 

शनिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के 125 जिलों के 260 सेंटर्स पर कोरोना के खिलाफ फाइनल वॉर प्रैक्टिस चल रही थी. जिसका रिव्यू खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दिल्ली के जीटीबी अस्पताल जाकर किया, जिसे ड्राई रन के लिए चुना गया था.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि चार राज्यों में हुए ड्राई रन से मिले फीडबैक को टीकाकरण की गाइडलाइंस में शामिल किया गया था और पूरे देश में हो रहा आज का ड्राई रन इन्हीं नई गाइडलाइंस के तहत किया जा रहा है. असली वैक्सीन देने को छोड़कर इस ड्रिल में पूरी प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है. 

ड्राई रन की प्रोसेस में वैक्सीनेशन के मुख्य तौर पर पांच चरणों को शामिल किया गया. पहला- बेनीफिशियरी यानी जिन लोगों को डमी वैक्सीन लगाई जानी है. उनको जानकारी देकर सेंटर पर बुलाना. दूसरा- सेंटर पर बेनीफिशियरी के डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन करना. तीसरा- वैक्सीनेशन की मॉक ड्रिल यानी डमी वैक्सीन लगाना. चौथा- वैक्सीनेशन की जानकारी ऑनलाइन अपलोड करना और पांचवां- वैक्सीन देने के बाद बेनीफिशियरी का ऑब्जर्वेशन.

कहां कहां हुआ ड्राई रन

दिल्ली में तीन जगह, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 6 जगह, बिहार में पटना, बेतिया और जमुई में तीन जगह, जम्मू कश्मीर के तीन जिलों में 9 जगह, मध्य प्रदेश के भोपाल में 3 सेंटर्स पर, महाराष्ट्र में 4 शहरों के 3-3 सेंटर्स पर और राजस्थान में जयपुर समेत 7 जिलों में ड्राई रन चला. इसका मकसद था असली वैक्सीनेशन से पहले जरूरी इंतजामों को परखना और असली वैक्सीनेशन के दौरान आने वाली संभावित कमियों को पहचानकर दूर करना.

ड्राई रन में जिन लोगों को डमी वैक्सीन लगाई गई, वो सभी हेल्थ वर्कर्स ही थे. जिन्हें वैक्सीनेशन प्रोग्राम के पहले फेज में सबसे पहले वैक्सीन दी जाएगी. ड्राई रन के दौरान हर सेंटर पर 25 लोगों को डमी वैक्सीन दी गई. पूरे प्रोसेस के लिए हर सेंटर पर तीन कमरे बनाए गए थे..

पहला कमरा बेनीफिशियरी के वेटिंग के लिए था, जहां उनकी पूरी जानकारी का डेमो मिलान हुआ. दूसरे कमरे में वैक्सीन रखी गईं थीं, वहीं वैक्सीन देने का ट्रायल हुआ और फिर तीसरे कमरे में वैक्सीन लगवाने वाले को 30 मिनट रखा गया ताकि उसे कोई परेशानी होने पर इलाज दिया जा सके. इस तरह देश के हर वैक्सीन सेंटर पर ड्राई रन को पूरा किया गया.

आप सोच रहे होंगे कि ड्राई रन तो हो गया, अब आगे क्या होगा? तो आपको इसके बारे में भी बता देते हैं. ड्राई रन को लेकर हर सेंटर से एक रिपोर्ट तैयार की गई है. जिसका रिव्यू स्टेट लेवल पर बनी टास्क फोर्स करेंगी. ये रिव्यू रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी जाएगी. रिपोर्ट के आधार पर अगर जरूरत महसूस हुई तो वैक्सीनेशन प्रोग्राम के प्लान में बदलाव किया जा सकता है और अगर सबकुछ ठीक रहा तो मौजूदा प्लान के हिसाब से वैक्सीनेशन प्लान फाइनल होगा.

यानी कोरोना के खिलाफ फाइनल जंग से पहले भारत ने अपनी तैयारियों को परखा है. अब अगला लक्ष्य वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लॉन्च करना है. जिसकी तैयारी भी लगभग फाइनल हो चुकी है. 


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