कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने छठ पूजा के लिए सात स्थायी घाटों को चिह्नित किया है और इसके अलावा महानगर में 44 अस्थायी घाटों और 16 जल निकायों का भी निर्माण करेगा। बंगाल सरकार ने कोलकाता में रहने वाले बिहारी समुदाय के लोगों को छठ पूजा के लिए तालाब की चिंता नहीं करने को कहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई पर्यावरणविदों ने रवींद्र सरोवर के पानी को दूषित किए जाने की शिकायत की थी। केएमसी ने कहा कि वह लोगों से अपने घर के पास छठ पूजा करने और कोरोना महामारी को देखते हुए भीड़ करने से बचने की अपील करेगा।
केएमसी जल्द नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं से रवींद्र सरोवर और सुभाष सरोवर पर छठ पूजा नहीं करने का अनुरोध करेंगे। केएमसी के एक अधिकारी ने बताया-'हम स्थानीय वार्ड समन्वयकों की मदद से लोगों के स्थानीय रूप से त्योहार मनाने की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं। यह महामारी का समय है और हमें भीड़ से बचना चाहिए।'
सूत्रों ने कहा कि केएमसी मामले पर अंतिम फैसला लेने से पहले उच्चतम न्यायालय के आदेश का इंतजार कर रहा है। राज्य के शहरी विकास मंत्री और कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण (केएमडीए) के अध्यक्ष फिरहाद हकीम ने हाल ही में इस मामले पर एक बैठक की।
पर्यावरणविद सुभाष दत्ता ने 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का रुख कर कथित तौर पर छठ अनुष्ठानों के कारण रवींद्र सरोवर के प्रदूषण होने की शिकायत की थी, जिसमें गंगा के पानी में तेल और घी डालना शामिल था। उसके बाद ट्रिब्यूनल ने झील में सभी धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था लेकिन छठ अनुष्ठान वहां जारी रहा क्योंकि स्थानीय लोगों ने इस आदेश पर ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि बंगाल सरकार ने छठ पूजा के मद्देनजर कृत्रिम तालाब बनाने की घोषणा की है।
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