बिहार चुनाव के पहले चरण की 71 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है. कोरोना संकट के बीच बिहार में हो रहे चुनाव में मतदाताओं को अधिक से अधिक बूथों तक ले जाना और वोटिंग प्रतिशन बढ़ाने का चैलेंज है. 2015 के चुनाव में 56.66 फीसदी मतदान हुआ था जबकि बिहार में सबसे ज्यादा मतदान का रिकॉर्ड साल 2000 के चुनाव में 62.57 फीसदी हुआ था. ऐसे में देखना है कि बिहार के मतदाताओं के सामने 20 साल पुराने रिकार्ड को तोड़ने की चुनौती होगी.
बता दें कि बिहार में अब तक हुए विधानसभा के 16 चुनावों में केवल तीन बार ही मतदान का प्रतिशत 60 का आंकड़ा छू सका है. इसके अलावा बाकी चुनाव में वोटिंग परसेंटेज 60 फीसदी के नीचे रही है. ऐसे में बिहार में हुए विधानसभा चुनावों को देखें तो वोटिंग फीसदी में उतार-चढ़ाव होता नजर आया है, लेकिन साल 2000 के आंकड़े को कभी पार नहीं कर सका है.
पहले चुनाव में 40 फीसदी से कम वोटिंग
आजादी के बाद बिहार में पहली बार 1952 में हुए चुनाव में 39.51 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इसके बाद 1957 में हुए चुनाव में मतदान प्रतिशत में लगभग दो फीसदी का इजाफा हुआ और 41.32 फीसदी लोग ही वोट डाल सके. वहीं, 1962 के विधानसभा चुनाव में 44.47 फीसदी वोट पड़े. हालांकि, यह वह दौर था जब लोग अपने मताधिकारी की ताकत को नहीं समझ रहे थे.
बिहार में पहली बार 50 फीसदी वोटिंग
बिहार में पहली बार 50 फीसदी वोटिंग का आंकड़ा 1967 के चुनाव में हुआ. साल 1967 के चुनाव में 51.51 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. बिहार के इतिहास में यह वह चुनाव था जब पहली बार गैर-कांग्रेसी पार्टी की सरकार आई थी. इसके बाद से 1985 तक हुए पांच चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 50 फीसदी के ऊपर ही रहा है. 1969 के चुनाव में 52.79, 1972 में 52.79, 1977 में 50.51, 1980 में 57.28 और 1985 में 57.27 फीसदी लोगों ने मतदान किया था.
90 के दशक में 60 फीसदी मतदान रहा
बिहार में 90 के दशक में हुए चुनावों में वोटिंग प्रतिशत 60 फीसदी के ऊपर रहा है. 1990 के चुनाव में 62.04 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. यह वह चुनाव था जब बिहार में लालू यादव की मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी हुई थी. इसके बाद 1995 में 61.79 और 2000 के चुनाव में 62.57 फीसदी वोटिंग हुई थी. बिहार के इतिहास में यह तीन चुनाव ऐसे थे, जब 60 फीसदी के ऊपर वोटिंग का आंकड़ा रहा है.
2005 में वोटिंग में गिरावट
2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत में जबरदस्त गिरावट आई. इस चुनाव में महज 46.50 फीसदी लोग ही वोट कर सके थे. इसके बाद 2005 के अक्टूबर में ही फिर विधानसभा चुनाव में 45.85 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इसके बाद 2010 में हुए चुनाव में 52.67 फीसदी वोटर बूथ तक पहुंच सके. इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनाव में 56.66 फीसदी मतदान हुआ था. ऐसे में इस बार के चुनाव में बिहार के मतदाताओं के सामने 20 साल पुराने रिकॉर्ड तोड़ने की चुनौती है. देखना है कि इस बार बिहार के मतदाता घरों से निकलकर कितनी बड़ी तादाद में बूथ तक पहुंचते हैं.
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