कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण इस बार स्कूल नहीं खुल पाए हैं. इस बीच सीबीएसई ने अपना सिलेबस कम कर दिया है. नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों का करीब 30 फीसदी सिलेबस कम किया गया है. लेकिन इस पर भी राजनीतिक बवाल छिड़ गया है. सरकार के इस कदम को लेकर कई राजनेताओं ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है. जिसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर जैसे नाम भी शामिल हैं.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि सीबीएसई को स्कूल पाठ्यक्रम में से कुछ अध्यायों को हटाने का औचित्य बताना चाहिए और बोर्ड के पास इस कदम के लिए 'बहुत मजबूत' कारण होना चाहिए.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आगे कहा, "दिल्ली सरकार हमेशा से पाठ्यक्रम में कटौती की तरफदार रही है और मैंने कई मौकों पर कहा कि ज्यादा पाठ्यक्रम होने का मतलब यह नहीं है कि (छात्र) ज्यादा सीखेगा. मैं 2020-21 के शैक्षणिक सत्र में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम को कम करने के सीबीएसई के फैसले का समर्थन करता हूं. मगर पठ्यक्रम में जिस तरह से कटौती की गई है, उसे लेकर मेरी आशंकाएं और चिंताएं हैं."
सिसोदिया ने यह भी कहा कि सामाजिक विज्ञान ऐसा विषय है जहां विवाद की सबसे ज्यादा गुंजाइश रहती है. सरकार के इस कदम पर निशाना साधते हुए सिसोदिया ने अंत में कहा, "हटाए गए समाज विज्ञान के विषय मौजूदा संदर्भ में काफी अहम हैं और बच्चे को इन विषयों के बारे में व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के बजाय सत्यापित स्रोत से सीखना चाहिए."
ममता बोलीं- नहीं हटाया जाना चाहिए महत्वपूर्ण विषय
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सीबीएसई के इस कदम पर बुधवार को हैरानी जताई. ममता बनर्जी ने अपने ट्वीट में लिखा, "इस बात को जानकर हैरानी हुई है कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान सीबीएसई कोर्स कम करने के लिए नागरिकता, संघीयता, धर्मनिरपेक्षता और विभाजन को हटा दिया है. हम कड़ाई से इसका विरोध करते हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारत सरकार से यह अपील करते हैं कि इन महत्वपूर्ण विषयों को किसी भी कीमत पर नहीं हटाया जाना चाहिए."
शशि थरूर ने भी उठाया था मुद्दा
इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी यह मुद्दा उठाया था. थरूर ने अपने ट्वीट में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को टैग करते हुए लिखा कि मैं पहले मंत्री को सीबीएसई का सिलेबस घटाने के लिए बधाई देने वाला था. लेकिन फिर मैंने देखा कि इन लोगों ने क्या हटाया है.
शशि थरूर ने लिखा कि अब दसवीं क्लास के बच्चे लोकतंत्र, लोकतंत्र को मिलने वाली चुनौती, धर्म, जाति जैसे सब्जेक्ट नहीं पढ़ पाएंगे. इसके अलावा 11-12वीं के बच्चे जो वोटर बनने की कगार पर हैं, उन्हें राष्ट्रवाद-सेक्युलरिज्म, बंटवारे और पड़ोसियों के साथ संबंध का पाठ नहीं पढ़ाया जाएगा.
कांग्रेस नेता ने लिखा कि जिन्होंने ये बदलाव किए हैं उनकी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं. क्या उन्होंने ये तय कर लिया है कि लोकतंत्र, सेक्युलरिज्म जैसे मुद्दे भविष्य के नागरिकों के लिए जरूरी नहीं हैं? मैं सरकार से अपील करता हूं कि इस तरह के फैसले पर दोबारा विचार करे.
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