तृणमूल कांग्रेस के विधयाक और पूर्व सांसद इदरीस अली ने लॉकडाउन में शराब की दुकानें खोलने के फैसले को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा दिया। इदरीस अली ने कहा कि मुझे लगता है कि शराब की दुकानों को खोलना अहम नहीं था, लोगों को सही ढंग से खाना नहीं मिल रहा और यहां सरकार शराब की दुकानें खोल रही है। वहां कोई भी सोशल डिस्टेंसिंग को नहीं मान रहा जो मेरे हिसाब से बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
धार्मिक पहलू का हवाला देते हुए अली ने आगे कहा कि इस्लामी कानून के मुताबिक शराब हराम है। अच्छे लोग अल्कोहल का सेवन नहीं करते। ये बात सिख और अन्य धर्मों के लिए भी है। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें सलाह नहीं दे सकता कि दैनिक जीवन में क्या करना है और क्या नहीं करना, लेकिन क्या आप राशन की दुकानों की जगह शराब के लिए कतार में खड़े इतने लोगों की कल्पना कर सकते हैं।
मोदी जी को देखना चाहिए कि कितने लोग शराब के आदी हैं। लोग हंस रहे हैं और शराब पीते वक्त मोदी जी जिन्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। मुझे लगता है कि मोदी सरकार सिर्फ यही चाहती है। इदरीस अली ने केंद्र सरकार पर प्रवासी मजदूरों का ख्याल रखने में नाकाम रहने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि ये सरकार प्रवासी मजदूरों की सेवा करने में असमर्थ है और जिन्हें जरूरत है उन्हे खाना तक मुहैया नहीं करा पा रही है। पहले केंद्र सरकार सभी को खाना, कपड़े उपलब्ध कराए, अन्य जगह फंसे सभी प्रवासी मजदूरों को वापस पहुंचाए। क्या अल्कोहल पीना जरूरी है? यहां बताते चलें कि शराब की दुकान खुलेगी या बंद रहेगी यह फैसला राज्य सरकार की है। क्योंकि केंद्र ने साफ कहा था कि जो शराब की दुकान के मामले में राज्य सरकार जो चाहे वही होगी।
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