बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ताज़ा घटनाक्रम में केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार सरकार के तीस लाख नये गरीब परिवार के नाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत जोड़ने की मांग इस आधार पर ख़ारिज कर दी हैं कि अनुमान के आधार पर अनाज का आवंटन नहीं किया जा सकता. पासवान ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा हैं कि कोई संशोधन का आवंटन अब जनगणना के आँकड़ों के आधार पर ही किया जायेगा, लेकिन बिहार के खाद्य मंत्री मदन साहनी का कहना है कि बिहार के साथ पासवान जान-बूझकर भेदभाव कर रहे हैं.
बिहार सरकार के मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया है और दावा किया हैं कि जो तीस लाख ग़रीबों की जनसंख्या में बढ़ोतरी की बात वो कर रहे हैं उसका आधार बहुत दुरुस्त हैं. उनके अनुसार ये गणना का काम गांवों में जीविका के माध्यम से हुआ. वहीं, शहरी इलाक़ों में नगर विकास विभाग के माध्यम से हुआ हैं. हालांकि, पुराने जनगणना के आधार पर पासवान के अनुसार जहाँ बिहार के सूची में चौदह लाख लोगों के नाम कम थे लेकिन बिहार सरकार का कहना हैं कि वो सारे नाम केंद्र के पोर्टल पर हैं.
माना जा रहा हैं कि पासवान का यह रवैया दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से चल रहे शीतयुद्ध का परिणाम हैं. लोक सभा चुनाव के बाद जनता दल यूनाइटेड के नेताओं की माने तो पासवान पिता पुत्र के सुर बदल गये हैं. वहीं, नीतीश भी चिराग़ पासवान के अपने ही सरकार को नसीहत देने वाले बयानो से चिढ़े हुए हैं. केंद्र ने शुक्रवार को जब प्रवासी बिहारियों को लाने के लिए श्रमिक ट्रेन चलाने का फ़ैसला लिया तो चिराग़ ने अपने ट्वीट में नीतीश के प्रयासों का ज़िक्र करना भी बेहतर नहीं समझा.