पूरी दुनिया में जानलेवा वायरस का कहर और कोरोना से बच गया किम जोंग उन का देश!


पूरी दुनिया हैरान है. सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर किम जोंग उन के उत्तर कोरिया में कोरोना का कोई भी मामला क्यों नहीं है? उसने ऐसा क्या कर दिया जो उसके पड़ोसी देश नहीं कर पाए. जबकि सलाहियत और मेडिकल सुविधाओं के मामले में वो किम के देश से कहीं बेहतर हैं. तो आइये ये जानने की कोशिश करते हैं कि किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया को इस जानलेवा वायरस से कैसे बचाया और क्या देश में एक भी मरीज़ ना होने के उसके दावों में सचमुच सच्चाई है?

किम जोंग उन का देश इस महामारी से कैसे बचा. ये जानने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि उत्तर कोरिया में मेडिकल सुविधाएं कैसी हैं. क्योंकि इसी से पता चलेगा कि किम जोंग उन के दावों में सच्चाई है भी या नहीं.

जानकारों का मानना है कि उत्तर कोरिया में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं हैं. और तो और उत्तर कोरिया का स्वास्थ्य तंत्र उसके जितनी पर कैपिटा जीपीडी वाले कई दूसरे देशों से कहीं बेहतर है. बम बनाने के अलावा किम जोंग उन ने बड़ी तादाद में अपने डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी है. हालांकि वहां के डॉक्टर पश्चिमी देशों के मुकाबले कम योग्य हो सकते हैं. और उन्हें उनके मुकाबले कम वेतन भी मिलता है, लेकिन इसके बावजूद वो अपने नागरिकों की सेहत की बुनियादी देखरेख अच्छी तरह करते हैं.

हां, ये सवाल ज़रूर है कि भले ही उत्तर कोरिया के डॉक्टर बुनियादी बीमारियों का इलाज करने की सलाहियत रखते हों. मगर कोरोना से लड़ने वाले मेडिकल इक्विपमेंट और जानकारियों की कमी में वो इस गंभीर बीमारी से कैसे निपट रहे होंगे. क्योंकि इस जानलेवा वायरस की अभी कोई वैक्सीन तैयार हुई नहीं है. इससे पार पाने के लिए फिलहाल ज़्यादा बेहतर मेडिकल उपकरणों और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की ज़रूरत है. जबकि उत्तर कोरिया पर लगी पाबंदियों की वजह से उसके लिए नए मेडिकल उपकरण ख़रीदना इतना आसान नहीं है. इस लिहाज़ से शहर में तो फिर भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद हो सकती हैं. लेकिन छोटे शहरों और गांवों के अस्पताल का इस महामारी से निपटना बेहद मुश्किल है..

उत्तर कोरिया में इसलिए नहीं हैं कोरोना के मरीज़!

अब आते हैं उस सवाल पर जिसका जवाब पूरी दुनिया जानना चाहती है कि किम जोंग उन ने अपने देश को कोरोना वायरस मुक्त कैसे बनाया. कैसे उसने इस जानलेवा महामारी को अपने देश में घुसने से रोका..? दरअसल नॉर्थ कोरिया के सेंट्रल एंटी-एपिडेमिक डिपार्टमेंट का दावा है कि उसने कोरोना वायरस को देश में आने से रोकने की कोशिशें काफी पहले से शुरू कर दी थीं. इसके लिए बाकायदा एहतियातन और वैज्ञानिक कदम उठाए गए. देश में आने-जाने वाले सभी लोगों की पूरी निगरानी की गई. उन्हें आम लोगों में घुलने-मिलने से पहले क्वारंटीन किया गया.

बाहर से आने वाले हर सामान को अच्छी तरह से डिसइंफेक्ट किया गया. सीमाएं बंद करने के साथ ही जल, थल और हवाई मार्ग रोक दिया गया. इसलिए कोरोना से बचने की नॉर्थ कोरिया की कोशिशें कामयाब रहीं और देश में अब तक एक भी शख्स कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुआ. नॉर्थ कोरिया के सेंट्रल एंटी-एपिडेमिक डिपार्टमेंट का कहना है कि शुरुआती दौर में की गई सख्तियों का नतीजा है कि आज देश का हर नागरिक पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित है. यूं भी नॉर्थ कोरिया की सरकार और सेंट्रल एंटी-एपिडेमिक डिपार्टमेंट ने कोरोना से निपटने की तैयारी तभी से शुरू कर दी थी. जब पड़ोसी देश चीन में कोरोना वायरस का पहला केस जनवरी में सामने आया था.

उत्तर कोरिया पहले भी ये साबित कर चुका है कि वो किसी वायरस से अकेले ही निपटने की सलाहियत रखता है. आपको बता दें कि साल 1990 में अकाल के दौरान उत्तर कोरिया में 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. तब भी यहां की सरकार ने सब कुछ अपने नियंत्रण में रखा था.

ऐसे में अगर वहां वायरस से मौतें होती भी हैं, तो किम की गद्दी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. मानवाधिकार या सामाजिक स्वतंत्रता जैसा कोई मुद्दा यहां है नहीं. लिहाज़ा बड़े आराम से किम जोंग उन कड़े फैसले ले सकता है और लोगों को जबरदस्ती कई महीनों तक अलग-थलग रख सकता है.

हालांकि उत्तर कोरियाई मीडिया ने भी सक्रियता दिखाई और वह लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए लगातार जानकारी दे रही है. हर दिन अख़बार के एक पूरे पन्ने में सरकार की उन कोशिशों के बारे में बताया जा रहा है, जो उसने घरेलू और अंतराष्ट्रीय हालात से निपटने के लिए की हैं. इसकी वजह से उत्तर कोरिया में अब ज़्यादातर लोगों को कोरोना वायरस के बारे में काफ़ी कुछ पता है. सरकार लोगों से लगातार कह रही है कि मास्क को ड्यूटी समझकर पहनें. घर के मेनगेट के हैंडल को सैनिटाइज करें. इसके अलावा प्रशासन सार्वजनिक वाहनों को संक्रमण मुक्त बनाए रखने के लिए सैनिटाइजेशन भी करा रहा है. कस्टम अधिकारी बंदरगाहों पर विदेश से आए कंटेनर्स को 10 दिन तक अलग जगह पर रख रहे हैं.

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