दादी राजमाता विजयाराजे की मुराद हुई पूरी, आज ज्योतिरादित्य सिंधिया थामेंगे कमल


मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने होली के दिन कांग्रेस से इस्तीफा देकर जैसे अपनी दादी की मुराद पूरी कर दी, क्योंकि राजमाता विजयाराजे सिंधिया चाहती थीं कि उनका पूरा खानदान बीजेपी में रहे. हालांकि, माधवराव सिंधिया और उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में गए, लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है.

जिवाजी राव सिंधिया और विजयाराजे सिंधिया की पांच संतानों में माधवराव के अलावा पोते ज्योतिरादित्य ही कांग्रेस में रहे. अब ज्योतिरादित्य ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है. 18 साल तक कांग्रेस के साथ सियासत करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी का कमल थामेंगे.

ग्वालियर के सिंधिया राजघराने में 1 जनवरी 1971 को पैदा हुए ज्योतिरादित्य कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में रहे, वो कांग्रेस के पूर्व मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के पुत्र हैं. ग्वालियर पर राज करने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत की. वो गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. सिर्फ 10 साल में ही उनका मोहभंग हो गया और 1967 में वो जनसंघ में चली गईं.

ग्वालियर में जनसंघ हुआ मजबूत

विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ मजबूत हुआ और 1971 में इंदिरा गांधी की लहर के बावजूद जनसंघ यहां की तीन सीटें जीतने में कामयाब रहा. खुद विजयाराजे सिंधिया भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और विजयाराजे सिंधिया के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से सांसद बने.

माधवराव सिंधिया अपने मां-पिता के इकलौते बेटे थे. वो चार बहनों के बीच अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे. माधवराव सिंधिया सिर्फ 26 साल की उम्र में सांसद चुने गए थे, लेकिन वो बहुत दिन तक जनसंघ में नहीं रुके. 1977 में आपातकाल के बाद उनके रास्ते जनसंघ और अपनी मां विजयाराजे सिंधिया से अलग हो गए.

1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बने. उनका विमान हादसे में 2001 में निधन हो गया.

कांग्रेस के मजबूत नेता बने रहे सिंधिया

निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की विरासत संभालते रहे और कांग्रेस के मजबूत नेता बने रहे. गुना सीट पर उपचुनाव हुए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए. 2002 में पहली जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें करारा झटका लगा.

विजयाराजे सिंधिया की बेटियों वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया ने भी राजनीति में एंट्री की. 1984 में वसुंधरा राजे बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुईं. वो कई बार राजस्थान की सीएम भी बन चुकी हैं.

वसुंधरा राजे सिंधिया की बहन यशोधरा 1977 में अमेरिका चली गईं. उनके तीन बच्चे हैं लेकिन राजनीति में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. 1994 में जब यशोधरा भारत लौटीं तो उन्होंने मां की इच्छा के मुताबिक, बीजेपी ज्वॉइन की और 1998 में बीजेपी के ही टिकट पर चुनाव लड़ा. पांच बार विधायक रह चुकीं यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री भी रही हैं.

बीजेपी में वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत भी बीजेपी में ही हैं. वो अभी राजस्थान की झालावाड़ सीट से सांसद हैं. पद्मा राजे सिंधिया जिवाजी राव और विजयाराजे सिंधिया की पहली संतान थीं. पद्मा का निधन पिता जिवाजी राव के निधन के तीन साल बाद ही हो गया. जिवाजी राव ने 1961 में जबकि पद्मा ने 1964 में अंतिम सांस ली. जिवाजी राव और विजयाराजे की दूसरी पुत्री उषा राजे सिंधिया राजनीति से दूर रहीं.

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