CAA के खिलाफ जारी है विपक्ष का हल्ला बोल, ममता कर रहीं अगुवाई


नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ देश के कई हिस्सों में बीते दो हफ्तों से प्रदर्शन जारी है. केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए इस कानून के खिलाफ विपक्षी पार्टियां भी मोर्चा खोले हुए है. कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी से लेकर मायावती तक सभी लगातार इस कानून के खिलाफ बयान दे रहे हैं. लेकिन CAA-NRC के मुद्दे पर एकजुट विपक्ष की अगुवाई एक बार फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही हैं. ममता इस मुद्दे पर सीधे नरेंद्र मोदी और अमित शाह को चुनौती दे रही हैं.

केंद्र सरकार के खिलाफ ममता का हल्ला बोल

तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने राज्यसभा, लोकसभा में भी इस बिल का विरोध किया था, कानून बनने के बाद लगातार ममता बनर्जी इसके खिलाफ मार्च निकाल रही हैं. बीते दो हफ्ते में ममता बनर्जी आधा दर्जन से अधिक सभाओं को संबोधित कर चुकी हैं, जिसमें मुख्य मुद्दा नागरिकता संशोधन एक्ट, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस का विरोध ही रहा है. ममता बनर्जी ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह इस कानून को बंगाल में लागू नहीं होने देंगी.

CAA बहाना, चुनाव पर निशाना

बंगाल में 2021 में विधानसभा का चुनाव होना है, लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जिस तरह अपना जनाधार राज्य में बढ़ाया है उससे ममता की चिंताएं जरूर बढ़ी होंगी. यही कारण है कि अब इस मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और पूरे प्रदेश में जाकर मोदी सरकार के इस कानून का विरोध कर रही हैं. ममता बनर्जी की ओर से इस कानून को संविधान विरोधी और अल्पसंख्यकों के खिलाफ करार दिया गया है.

एक बार फिर विपक्षी नंबर 1 बनीं ममता?

लोकसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने कोलकाता में विपक्षी पार्टियों की एकता रैली बुलाई थी. उस जनसभा में 22 से अधिक राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए थे, जिसमें ममता बनर्जी सबसे बड़ी नेता के तौर पर उभरीं. अब एक बार फिर ममता बनर्जी की ओर से यही कोशिश की जा रही है. विपक्ष के अन्य नेता भी सीएए का विरोध कर रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार ममता बनर्जी आक्रामक हैं वैसा कोई भी नहीं.

अन्य विपक्षी नेताओं में अभी तक कांग्रेस की ओर से राजघाट पर सत्याग्रह किया गया, प्रियंका गांधी ने हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की. इसके अलावा कुछ राज्य सरकारों ने ऐलान किया है कि वह अपने यहां इस कानून को लागू नहीं करेंगे.

मोदी सरकार के लिए एनडीए में मुश्किलें?

एक ओर विपक्ष केंद्र सरकार को CAA के मुद्दे पर घेर रहा है, तो वहीं खुद एनडीए में भी इस मुद्दे पर अलग-अलग सुर दिख रहे हैं. बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू सदन में तो इस बिल के साथ थी, लेकिन अब इसका पुरजोर विरोध कर रही है. जेडीयू के अलावा अकाली दल भी लगातार आवाज़ उठा रहा है कि इस एक्ट में मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

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