पश्चिम बंगाल की सरकार किसान सम्मान निधि और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं लागू नहीं होने देती, जिस कारण लोग योजना के लाभ से वंचित रह जाते हैं. मैं ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दें. पीएम मोदी ने यह बात रविवार को कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के 150 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कही.
बता दें कि ममता बनर्जी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं. माना जा रहा था कि वह पीएम मोदी के साथ इस दौरान मंच साझा करेंगी, लेकिन वह कार्यक्रम में नहीं पहुंचीं. प्रधानमंत्री, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ निमंत्रण कार्ड में ममता बनर्जी का नाम शामिल था.
जानता हूं बंगाल की जनता का मिजाज, अब नहीं चलता सिंडिकेट राज
पीएम ने इशारों में सिंडिकेट की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं बंगाल की जनता का मिजाज भली भांति जानता हूं अब अधिक समय तक लोगों को योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं रखा जा सकता क्योंकि सिंधी केट राज खत्म हो गया है. किसान सम्मान निधि हो या फिर गैस पर सब्सिडी, सबका लाभ सीधे लोगों को खाते में मिलता है.
कोलकाता पोर्ट का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट करने का ऐलान
इससे पहले उन्होंने कोलकाता पोर्ट का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट करने का ऐलान किया. पीएम मोदी ने इस दौरान कहा 'पश्चिम बंगाल की, देश की इसी भावना को नमन करते हुए मैं कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम, भारत के औद्योगीकरण के प्रणेता, बंगाल के विकास का सपना लेकर जीने वाले और एक देश, एक विधान के लिए बलिदान देने वाले डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर करने की घोषणा करता हूं.'
कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के 150 साल पूरा होने पर पीएम मोदी ने कहा, 'पश्चिम बंगाल के विकास के लिए केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव कोशिश की जा रही है. विशेष तौर पर गरीबों, दलितों, वंचितों, शोषितों और पिछड़ों के विकास के लिए समर्पित भाव से प्रयास किए जा रहे हैं. जैसे ही पश्चिम बंगाल राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना, पीएम किसान सम्मान निधि के लिए स्वीकृति देगी, यहां के लोगों को इन योजनाओं का भी लाभ मिलने लगेगा.'
ट्रस्ट के दो सबसे पुराने पेंशनर्स को सम्मानित किया
पीएम मोदी ने कहा कि आज का ये दिन कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के लिए, इससे जुड़े लोगों के लिए, यहां काम कर चुके साथियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है. भारत में पोर्ट डेवलपमेंट को नई ऊर्जा देने का इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि यह देश के लिए दुर्भाग्य रहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बाबासाहेब अंबेडकर के सरकार से हटने के बाद, उनके सुझावों पर वैसा अमल नहीं किया गया, जैसा किया जाना चाहिए था, इस दौरान ट्रस्ट के दो सबसे पुराने पेंशनर्स को उन्होंने सम्मानित किया.