निर्मला सीतारमण ने वित्तीय स्थिति को लेकर दिया खुलकर जवाब


अर्थव्यवस्था की मंदी, सरकार के राजस्व संग्रह की धीमी रफ्तार और सरकारी खर्च में कमी को लेकर विपक्ष के निशाने पर रही सरकार ने आंकड़ों के जरिये स्पष्ट कर दिया कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है. अनुदानों की पूरक मांगों पर लोकसभा में हुई बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार के राजस्व संग्रह में भी वृद्धि हो रही है और सरकारी खर्च भी बढ़ा है.

आइडीबीआइ बैंक को पूंजी देने के सवाल पर भी वित्त मंत्री ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की वजह से इसकी हालत खराब हुई जिसे मौजूदा सरकार संभालने की कोशिश कर रही है. वित्त मंत्री ने विपक्ष की तरफ से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग की कमी और सरकार की तरफ से कदम नहीं उठाये जाने के आरोपों का भी सिलसिलेवार जवाब दिया और कहा कि देश के 400 जिलों में विभिन्न माध्यमों के जरिए एमएसएमई से लेकर अलग अलग क्षेत्रों में नवंबर में 2,39,345 करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि यह सिलसिला अभी जारी है. करीब पांच घंटे तक सदन में चली बहस के बाद 21,246.55 करोड़ रुपये की अनुदान की पूरक मांगे पारित हो गईं. बाद में सदन ने ध्वनिमत से विनियोग विधेयक भी पारित कर दिया. टीएमसी के सौगत राय ने सात कटौती प्रस्ताव रखे थे, जिन्हें ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया. बहस में हिस्सा लेने वाले 19 सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि सरकार के राजस्व में कमी आ रही है.

सीतारमण ने बताया कि अक्टूबर में सरकार के रेवेन्यू में 15.06 परसेंट की वृद्धि दर्ज की गई है. इस महीने सरकार का रेवेन्यू 97,630 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया. जहां तक सरकारी खर्च का सवाल है, तो उसमें रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में 13.61 परसेंट और कैपिटल एक्सपेंडिचर में 37 परसेंट की वृद्धि हुई है. इससे पहले कांग्रेस के शशि थरूर ने बहस में हिस्सा लेते हुए सरकार के रेवेन्यू में कमी की बात कही थी.
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