PMC बैंक घोटाला: ED की जांच में खुलासा, किस तरह HDIL के लिए ताक पर रखे गए नियम


पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक या PMC बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया है कि बैंक की ओर से HDIL और इस ग्रुप की कंपनियों को जो कर्ज दिए गए थे, उनका इस्तेमाल ग्रुप कंपनियों के अन्य कर्ज़ों को उतारने में किया गया. ये खुलासा बैंक की तत्कालीन ज्वाइंट जनरल मैनेजर (क्रेडिट) मंजीत कौर और ईश्वर सिंह के बयान से हुआ है.

सिंह ने अपने बयान में कहा है कि HDIL के कुल 44 कर्ज खाते थे, जिनमें HDIL के प्रमोटर राकेश वधावन और सारंग वधावन के निजी खाते भी शामिल थे. सिंह ने ED को दिए अपने बयान में कहा कि बैंक की ओर से HDIL ग्रुप की कंपनी अवास डेवेलपर्स एंड कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड और सर्वआल कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए कर्ज का इस्तेमाल ग्रुप की एक और कंपनी मी मराठी मीडिया लिमिटेड के कर्ज को चुकाने के लिए किया गया.

सिंह ने आगे बताया कि HDIL ग्रुप की कंपनी एक्सेल आर्केड प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया 33 करोड़ रुपये का कर्ज ग्रुप की एक और कंपनी प्रीविलेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड की देनदारियों को चुकाने के लिए किया गया. इसी तरह बैंक की ओर से इस ग्रुप की कंपनी समरसेट कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया, 200 करोड़ रुपये का कर्ज ग्रुप की एक और कंपनी ब्लू स्टार रीयल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के कर्ज को चुकाने के लिए किया गया.

ED को दिए बयान में सिंह ने कहा कि एक्सेल आर्केड प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया 100 करोड़ रुपये के टर्म कर्ज का इस्तेमाल कंपनी के ओवरड्राफ्ट को चुकाने में किया गया, जिस पर आउटस्टैंडिंग डेबिट बैलेंस 30 करोड़ रुपये था. इसे चुकाने के बाद जो 70 करोड़ रुपये बचे, उसमें से 33 करोड़ रुपये प्रीविलेज इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की देनदारी चुकाने में इस्तेमाल किए गए. 21 करोड़ रुपये के बैलेंस ओवरड्राफ्ट को एक्सेल टर्म लोन अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया.

PMC को लेकर दो तरह के खाते थे. एक जो रिपोर्ट में थे और दूसरे जो कहीं रिपोर्ट में नहीं थे. ऐसा बैंक के CMD जॉय थॉमस के निर्देशों पर किया गया. थॉमस ने बैंक के सीनियर स्टाफ और सिस्टम्स डिपार्टमेंट को एक्सेस कोड लागू करने के निर्देश दे रखे थे, जिससे कि खाते ओवरड्रॉन या ओवरड्यू स्टेटमेंट्स में प्रदर्शित न हो सकें. ऐसा ग्रुप की कंपनियों के कर्ज को भारतीय रिजर्व बैंक की नजरों से बचाने के लिए किया गया.

इस बीच ED को दिए HDIL के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर दर्शन मजूमदार के बयान के मुताबिक HDIL ग्रुप की ओर से अधिकतर कर्ज अपनी तीन कंपनियों के नाम पर हासिल किए गए. इन कंपनियों के नाम हैं- HDIL, PPIPL और GACL. इन तीनों कंपनियों के नाम पर 1520.49 करोड़ रुपये के कर्ज हासिल किए गए. इनका प्रिंसिपल अमाउंट 513.01 करोड़ रुपये था, जिसमें 1007.47 करोड़ रुपये का ब्याज जुड़ गया.

मजूमदार के बयान के मुताबिक इन कर्जों को कर्ज और एडवांस के तौर पर दिखाया गया. एडवांस का मतलब जमीन खरीदने के लिए दर्शाया गया, जिन्हें HDIL की बैलेंस शीट में उसकी परिसंपत्ति (एसेट) के तौर पर दिखाया गया. मजूमदार ने खुलासा किया कि HDIL की 23 कंपनियां निष्प्रभावी थीं. उनमें किसी तरह की गतिविधि नहीं होती थी.

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