पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में गुटखा और पान मसाला बिक्री पर लगाया प्रतिबंध


पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में सात नवंबर से गुटखा और पान मसाला समेत सभी तंबाकू पदार्थों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. गुटखा, पान-मसाला समेत तंबाकू उत्पाद स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं। तंबाकू पदार्थों में निकोटिन की मात्रा अधिक पायी जाती है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक है. केंसर के अलावा और भी कई बिमारी का ये कारण बनता है.  राज्य खाद्य सुरक्षा की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि पान-मसाला, गुटखा की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के साथ ही मैन्यूफैक्चरिंग पर भी एक साल के लिए रोक लगा दी है.

जानकारी हो कि दुकानों और गोदामों के साथ ही मैन्यूफैक्चरिंग पर बैन रहेगा। यह निर्देश सात नवंबर से प्रभावी होगा. निर्देश में कहा गया है कि गुटखा, पान-मसाला समेत तंबाकू उत्पाद स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं. तंबाकू पदार्थों में निकोटिन की मात्रा अधिक पायी जाती है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक है.

बंगाल में जानलेवा होता वायु प्रदूषण

जानकारी हो कि शिकागो विश्वविद्यालय, अमेरिका की शोध संस्था 'एपिक' (एनर्जी पालिसी इंस्टीच्यूट एट दी यूनिवर्सिटी आफ शिकागो) द्वारा तैयार 'वायु गुणवत्ता जीवन सूचकाक' का नया विश्लेषण दर्शाता है कि पश्चिम बंगाल में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति राज्य के नागरिकों की 'जीवन प्रत्याशा' औसतन 3.8 वर्ष कम करती है, और जीवन प्रत्याशा में उम्र बढ़ सकती है अगर यहा के वायुमंडल में प्रदूषित सूक्ष्म तत्वों एवं धूलकणों की सघनता 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताया गया सुरक्षित मानक) के सापेक्ष हो.

एक्यूएलआइ (एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स) के आकड़ों के अनुसार कोलकाता के लोग 3.4 वर्ष ज्यादा जी सकते थे, अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों को पूरा कर लिया जाता. वर्ष 1998 में, इसी वायु गुणवत्ता मानक को पूरा करने से जीवन प्रत्याशा में 1.1 साल की बढ़ोतरी होती. लेकिन केवल कोलकाता राज्य में प्रदूषित जिलों की सूची में शीर्ष पर नहीं है. राज्य के अन्य जिले और शहर के लोगों का जीवनकाल घट रहा है और वे बीमार जीवन जी रहे हैं.

उदाहरण के लिए मालदा के लोगों के जीवनकाल में 4.8 साल की बढ़ोतरी होती, अगर वहा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों का अनुपालन किया जाता. इसी तरह पुरुलिया, मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर, बीरभूम और दक्षिण दिनाजपुर भी इस सूची में पीछे नहीं हैं, लोगों की जीवन प्रत्याशा में क्रमश: 4.5 वर्ष, 4.3 वर्ष, 4.3 वर्ष, 4.3 वर्ष, और 4.3 वर्ष की वृद्धि होती, अगर लोग स्वच्छ और सुरक्षित हवा में सास लेते. इस बारे में शिकागो विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के मिल्टन फ्राइडमैन प्रतिष्ठित सेवा प्रोफेसर और एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ माइकल ग्रीनस्टोन ने कहा कि एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के हिंदी संस्करण की शुरुआत के साथ, करोड़ों लोग यह जानने-समझने में समर्थ हो पाएंगे कि कैसे पार्टिकुलेट पॉल्यूशन उनके जीवन को प्रभावित कर रहा है, और सबसे जरूरी यह बात जान पाएंगे कि कैसे वायु प्रदूषण से संबंधित नीतिया जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने में व्यापक बदलाव पैदा कर सकती हैं.
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