महाराष्ट्र में शिवसेना को झटका, एनसीपी-कांग्रेस बोली, सरकार बनाने पर अभी फैसला नहीं


महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश को मानते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर दी है. वहीं महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने के राज्यपाल की सिफारिश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि उन्हें दावा पेश करने के लिए सिर्फ 24 घंटे का समय दिया गया, जबकि बीजेपी को 48 घंटे का वक्त दिया गया था. शिवसेना ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के अवसर से इनकार करने के लिए बीजेपी के इशारे पर जल्दबाजी में काम किया.

शरद पवार बोले- हम दोबारा चुनाव नहीं चाहते

शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हम दोबारा चुनाव नहीं चाहते हैं. हमारी तरफ से कोई कमियां नहीं, हमने प्रक्रिया शुरू ही की थी. हमने गठबंधन में चुनाव लड़ा, पहले हमारा बात करना जरूरी. हमने कांग्रेस से बातचीत शुरू की. बातचीत पूरी होने के बाद शिवसेना से बात होगी. सरकार बनाना है या नहीं, सरकार बनाने के बाद हमारी नीति क्या होगी इस पर चर्चा जरूरी है. सवालों का जवाब देते हुए शरद पवार ने कहा कि अब तो हमें माननीय राज्यपाल ने बहुत समय दे दिया है.

शिवसेना के साथ सरकार गठन की कठिनाइयों की ओर इशारा करते हुए शरद पवार ने कहा कि हमारा और कांग्रेस का एक कॉमन घोषणा पत्र था, इसलिए हमें अपने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के बारे में चिंता नहीं है. लेकिन अगर हमें थर्ड पार्टी के साथ सरकार बनानी है तो हमें बैठना पड़ेगा और चर्चा करनी पड़ेगी.

शरद पवार से जब शिवसेना के साथ वैचारिक मतभेद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब तक हम लोग साथ आने का फैसला नहीं लेते हैं, इस प्रश्न का सवाल ही नहीं उठता है. एक बार जब हम साथ बैठने का फैसला करते हैं, हमलोग इस बारे में जवाब देंगे.

NCP-कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस

मुंबई में आज एनसीपी और कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई. इसमें महाराष्ट्र में सरकार गठन पर चर्चा हुई. इस मीटिंग के बाद पत्रकारों से बात करते हुए एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शिवसेना ने 11 नंवबर को हमसे आधिकारिक तौर पर संपर्क किया था. उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र की राजनीतिक हालात पर हमारी चर्चा हुई. इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई. फैसले से पहले सभी पहलुओं पर चर्चा हुई. शिवसेना ने हमसे कल संपर्क किया था.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि अभी राष्ट्रपति शासन की जरूरत नहीं थी. हम राष्ट्रपति शासन की आलोचना करते हैं. केंद्र सरकार ने कई राज्यों में मनमानी की. लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाने की कोशिश की. राज्यपाल का कांग्रेस को न्यौता न देना गलत है. सबको मौका दिया लेकिन कांग्रेस को नहीं बुलाया गया.

इसके बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए अहमद पटेल ने कहा कि कल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा को शिवसेना की तरफ से पहली बार आधिकारिक तौर पर फोन किया गया था. लेकिन यह गठबंधन के दूसरे दल से बात किए बिना तय नहीं किया जा सकता था. पहले हमारी बात हो जाए, सारी बातें क्लियर हो जाएं. तब हम शिवसेना से भी बात कर लेंगे. एनसीपी से बात के बाद शिवसेना से बातचीत की कोशिश जल्द होगी. न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मुद्दों पर स्पष्टीकरण जरूरी है.

कांग्रेस को सरकार में शामिल कराने पर जोर: सूत्र

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए मुंबई में कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के बीच लगातार बातचीत जारी है. सूत्रों के मुताबिक एनसीपी चाहती है कि कांग्रेस सरकार में शामिल हो ताकि सरकार को स्थिरता मिल सके. वहीं कांग्रेस कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर जोर दे रही है. सूत्रों के मुताबिक एनसीपी के फॉर्मूले में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का सीएम ढाई-ढाई साल का होगा, जबकि कांग्रेस को 5 साल के लिए डिप्टी सीएम का पद मिलेगा. इस मुद्दे पर दोनों दलों के बीच चर्चा हो रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश लेकर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से बात करने के लिए मुंबई पहुंचे हैं.

कांग्रेस को क्यों नहीं मिला सरकार बनाने का मौका-सुरजेवाला

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर हमला बोला है. सुरजेवाला ने कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर राज्यपाल ने संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक उड़ाया है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल अगर अलग-अलग सभी पार्टियों को सरकार बनाने का मौका दे रहे थे, तो उन्हें कांग्रेस को भी मौका देना चाहिए था. सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल  को सबसे पहले चुनाव के पहले बने गठबंधन बीजेपी-शिवसेना को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए था. दूसरे नंबर पर राज्यपाल को कांग्रेस और एनसीपी को सरकार बुनाने के लिए बुलाना चाहिए था. क्योंकि ये दूसरा सबसे बड़ा पोस्ट पोल एलायंस था. अगर राज्यपाल सभी पार्टियों को अलग-अलग बुला रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए क्यों नहीं बुलाया?याचिका पर आज ही सुनवाई की मांग

शिवसेना के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में दरख्वास्त की है कि उनकी याचिका पर आज ही सुनवाई की जाए. शिवसेना महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को भी चुनौती देने के लिए दूसरी याचिका तैयार कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने अभी तक शिवसेना के वकीलों को ये नहीं बताया है कि उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई का फैसला लिया गया है या नहीं. 

एनसीपी की अपील के बाद राष्ट्रपति शासन की सिफारिश

सूत्रों के हवाले से खबर है कि एनसीपी ने आज सुबह 11:30 बजे राज्यपाल को एक खत लिखा था, जिसमें दो दिन का समय मांगा था. राज्यपाल ने एनसीपी के पत्र को आधार बना कर गृहमंत्रालय से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की.

बीजेपी और शिवसेना नहीं बना पाई सरकार

बता दें कि राज्‍य में भाजपा 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी विधायक संख्या वाली पार्टी है. लेकिन बीते शनिवार को भाजपा ने सरकार गठन में असमर्थता जाहिर कर दी थी. इसके बाद राज्‍यपाल ने रविवार को 56 विधायकों के साथ शिवसेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. लेकिन, पार्टी कांग्रेस और एनसीपी से समर्थन के पत्र उपलब्ध नहीं करा सकी, भले ही इसने 'सैद्धांतिक रूप में' उनसे समर्थन का दावा भी किया.

शिवसेना ने राज्यपाल से और समय मांगा, जिन्होंने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच सोमवार को देर रात, राज्यपाल ने सरकार बनाने प्रयास करने के लिए 54 विधायकों के साथ तीसरे सबसे बड़े दल एनसीपी को आमंत्रित किया था..
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