हमारे सौर मंडल के इस ग्रह के पास हैं सबसे ज्यादा चांद, बन गया नंबर-1


अंतरिक्ष अंतहीन आश्चर्यों से भरा हुआ है. यहां कभी भी नए खुलासे हो सकते हैं. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल के शनि ग्रह (Saturn) के 20 नए चद्रंमाओं की खोज की है. अब शनि के पास कुल मिलाकर 82 चांद हो गए हैं. इसके पहले सबसे ज्यादा चांद होने का ताज बृहस्पति के पास था. उसके चारों तरफ 79 चांद चक्कर लगा रहे हैं. हालांकि, अब भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि शनि के चारों तरफ 100 से ज्यादा चांद है.

अंतरिक्ष विज्ञानियों का दावा है कि शनि ग्रह के चारों तरफ खोजे गए नए 20 चंद्रमाओं में से 17 शनि ग्रह के घूमने की दिशा से उलटी दिशा में चक्कर लगा रहे हैं. वहीं, तीन शनि की ग्रह की दिशा में उसके साथ चक्कर लगा रहे हैं. अब वैज्ञानिकों ने शनि के चंद्रमाओं का नाम रखने के लिए कॉन्टेस्ट भी शुरू किया है. इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने इस प्रतियोगिता की घोषणा की है. कॉर्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंसेज के वैज्ञानिकों के अनुसार शनि ग्रह के जो नए चांद मिले हैं उनकी परिधि 5 किमी से ज्यादा है. पिछले साल भी 12 चांद खोजे गए थे.

हवाई द्वीप पर टेलीस्कोप लगाकर खोजे शनि के चांद

कॉर्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंसेज के वैज्ञानिकों ने अमेरिका के हवाई द्वीप पर टेलीस्कोप लगाकर शनि के नए 20 चांद की खोज की. हालांकि, बृहस्पति के पास अब भी सौर मंडल के सभी ग्रहों के चंद्रमाओं में सबसे बड़ा चांद है. शनि के सबसे छोटे चांद की परिधि 5 किमी है लेकिन बृहस्पति के सबसे छोटे चांद की परिधि 1.6 किमी है. इसलिए ऐसे चांद को खोजने के लिए अत्यधिक ताकतवर टेलीस्कोप की जरूरत पड़ती है. हालांकि, अब भी शनि के चांद की खोज जारी है, क्योंकि वहां अब भी कई चांद होने की उम्मीद जताई जा रही है.

शनि के चारों तरफ कैसे बने इतने ढ़ेर सारे चांद?

कॉर्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंसेज के वैज्ञानिकों का मानना है कि शनि के चारों तरफ किसी बड़े उपग्रह के टूटने से ढ़ेर सारे चांद बने होंगे. ये टूटने के बाद शनि ग्रह से छिटक कर इतनी दूर चले गए कि इन्हें शनि का एक चक्कर लगाने में करीब 2 से 3 साल लग जाते हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी समेत दुनियाभर के कई वैज्ञानिक संस्थाएं इस बात का पता लगाने में जुटी हैं कि आखिरकार शनि ग्रह की उत्पत्ति कैसे हुई?
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