World Mental Health Day 2019: 5 सबसे आम मानसिक बीमारियां, जिनकी वजह से जा रही है लाखों की जान


मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर को सारी दुनिया में मनाया जाएगा. यह दिन दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर काम करने वाले सभी हितधारकों को अपने काम के बारे में बात करने का अवसर प्रदान करता है और साथ ही मानसिक स्वास्थ्य सेवा को दुनिया भर के लोगों के लिए एक वास्तविक बीमारी बनाने के लिए और क्या किया जा सकता है.

इसमें कोई शक़ नहीं कि पिछले कुछ सालों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है. लेकिन इसके बावजूद आज भी ऐसे कई लोग हैं जो इसके बारे में बात करने से झिझक महसूस करते हैं. क्या आप जानते हैं कि हर 40 सेकेंड में एक इंसान किसी तरह के मानसिक बीमारी की वजह से अपनी जान गंवा बैठता है. यह खतरनाक और चौंकाने वाला आंकड़ा बताता है कि मानसिक विकारों के बारे में बात करना कितना ज़रूरी है और आप इससे कैसे इसका सामना कर सकते हैं.

पांच ऐसे मानसिक विकार जिनके बारे में जानना ज़रूरी है: 

1. मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (तनाव)

इसे आम भाषा में डिप्रेशन कहा जाता है, यह एक बेहद गंभीर मानसिक बीमारी है. यह बीमारी आप कैसा महसूस करते हैं, क्या सोचते हैं और कैसे पेश आते हैं इन सब पर नकारात्मक प्रभाव डालती है. इस बीमारी के दौरान एक इंसान महीनों, यहां तक ​​कि सालों तक उदास महसूस कर सकता है.

इस दौरान एक व्यक्ति, कभी जिस काम में मज़ा आता था उसमें रुचि खो देना, भूख न लगना, नींद के पैटर्न में बदलाव, ऊर्जा में कमी, हमेशा थकान महसूस करना, अपने आप को बेकार महसूस करना, एकाग्रता में मुश्किल का अनुभव और निर्णय न ले पाना जैसी चीज़ों का अनुभव करता है.

ऐसे में रोगी के दोस्त और परिवार इस बीमारी के उपचार में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. वो न सिर्फ ये पहचानने में मदद कर सकते हैं कि उनके परिवार का कोई सदस्य या दोस्त तनाव में है बल्कि समय पर इसका इलाज करवा सकते हैं. साथ ही वे उस व्यक्ति को प्रेरित कर उसे अवसाद से बाहर आने में भी मदद कर सकते हैं.

2. सिज़ोफ्रेनिया

सिज़ोफ्रेनिया भी एक गंभीर मानसिक बीमारी है. इस दौरान एक व्यक्ति वास्तविकता की व्याख्या करने में असमर्थ होता है. वे भ्रम, मतिभ्रम और अव्यवस्थित सोच का अनुभव करते हैं. सिज़ोफ्रेनिया आम नहीं है लेकिन इसके लक्षण काफी गंभीर होते हैं। इसे युवा अवस्था में किशोरों में सिज़ोफ्रेनिया के लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है क्योंकि दोस्तों और परिवार से दूरी, प्रेरणा की कमी और नींद की समस्या जैसे लक्षण किशोर अवस्था के आम लक्षण हैं. दवा, मनोवैज्ञानिक परामर्श और स्वयं सहायता संसाधन सिज़ोफ्रेनिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

3. Obsessive Compulsive Disorder

Obsessive compulsive disorder यानि OCD एक तरह का चिंता करने का डिसऑर्डर है, जिसमें जुनूनी विचार और चीजों को एक निश्चित तरीके से देखने की मजबूरी महसूस करने जैसे लक्षम शामिल हैं. जो OCD के शिकार होते हैं वह हर चीज़ को अलग तरह से देखते हैं. उन्हें ऐसे विचार आते हैं जो बेकाबू होते हैं और कुछ चीजें करने के लिए बेताब हो जाते हैं. जैसे कई बार या लगातार हाथ धोना, अपने शरीर को चेक करते रहना, रोज़ाना एक तरह का रूटीन फोलो करने जैसे कुछ चीज़ें OCD के लक्षण हैं.

4. लगातार अवसादग्रस्त रहना

इस बीमारी को डिस्थीमिया भी कहा जाता है। इस अवस्था में एक इंसान लगातार अवसाद में रहता है. उसे लगातार उदासी, उत्पादकता में कमी, कम ऊर्जा, निराशा, भूख में बदलाव, कम आत्मविश्वास और खराब आत्मसम्मान की भावना महसूस होती है. दर्दनाक जीवन की घटनाएं, निरंतर चिंता, बायपोलर डिसऑर्डर और यहां तक ​​कि मस्तिष्क में एक प्रकार का रासायनिक असंतुलन लगातार हो रही इस अवसादग्रस्तता विकार का एक प्रमुख कारण हो सकता है.

5. बायपोलर डिसऑर्डर

बायपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसमें इचानक मूड में बदलाव होते हैं. बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति कई तरह की भावनाओं से गुज़रता है, कभी अत्यधिक उत्तेजना, गहरी उदासी, आत्मघाती विचार, ऊर्जा की कमी जैसे अनुभव होते हैं. अगर आप अत्यधिक तनाव, शारीरिक बीमारी, दर्दनाक अनुभव और आनुवांशिकी, बायपोलर डिसऑर्डर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं.

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