
सभी दलों के सदस्यों से इस समस्या के निदान के बारे में सुझाव मांगते हुए उन्होंने कहा कि सुझाव दीजिए, किसानों को अकेला नहीं छोड़ सकते। अब अपने किसानों को न मरने दें, इतनी ही विनती करता हूं। सदस्यों की ओर अपनी बात रखे जाने के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से इसका जवाब दिये जाने के समय प्रधानमंत्री सदन में आए और सिंह के बयान के बाद उन्होंने कहा कि सदन की पीड़ा से जोड़ते हुए मैं यह कहना चाहूंगा कि यह पीड़ा बहुत पुरानी और गहरी है और हमें सोचना होगा कि हम गलत कहां रहे। इससे पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदस्यों की चिंताओं पर अपनी बात रखते हुए कल की घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक’ बताया और कहा कि ऐसे मामलों में किसी भी सूरत में राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें बताया है कि उस व्यक्ति के पेड़ पर चढ़ने के तुरंत बाद पुलिस ने नियंत्रण कक्ष को तुरंत जानकारी दी और उंची सीढ़ी वाले दमकल को बुलाया। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि आप की रैली में एकत्र लोग पेड़ पर चढ़े किसान की ओर देखकर ताली बजा रहे थे और नारे लगा रहे थे। और पुलिस ने उन्हें ऐसा न करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उससे वह व्यक्ति और उत्तेजित हो सकता है लेकिन भीड़ ने शोर मचाना और ताली बजाना जारी रखा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की आपराध शाखा से समयबद्ध तरीके से मामले की जांच करने का आदेश दिया गया है। इस पर सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस किसान की आत्महत्या के मामले में दोषी और उससे मामले की जांच कराना उचित नहीं होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से मुखातिब होते हुए कहा कि मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया जाए। किसानों की कर्ज माफी की कांग्रेस की मांग पर गृह मंत्री ने कहा कि संप्रग के समय कर्ज माफी चुनाव के समय की गई थी, न कि किसी आपदा के समय। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में उस समय कर्ज माफी के मामले में घोटाले उजागर हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 2009 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन संप्रग सरकार ने किसानों के करीब 60 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को माफ किया था। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा किसानों की राहत के लिए उठाये गए कदमों का जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा कि पहले 50 प्रतिशत फसलों के नुकसान पर ही मुआवजे का प्रावधान था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार 33 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर भी किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था की बल्कि उसकी राशि भी डेढ गुणा बढ़ा दी।
राजनाथ ने कहा कि हमें इस तथ्य पर भी विचार करना होगा कि 1951 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान 55 प्रतिशत था जो अब केवल 14 प्रतिशत रह गया है जबकि कृषि पर अभी भी करीब 60 प्रतिशत आबादी निर्भर है। उन्होंने कहा कि यह भी एक चिंताजनक तथ्य है कि आज भी 60 प्रतिशत आबादी को खाद्य सुरक्षा पर निर्भर रहना पड़ रहा हैं। गृह मंत्री ने कहा कि इस स्थिति से उबरने के लिए पक्ष.प्रतिपक्ष को आरोप प्रत्यारोप से उपर उठकर मिलकर विचार करना होगा। हमें यह कारण जानना होगा कि जाने माने देशों की बनिस्बत हमारे देश में कृषि उत्पादकता आज भी बहुत कम क्यों है। उन्होंने कहा कि वह किसानों को सरकार की ओर से आश्वासन देते हैं कि वह पूरी तरह से किसानों के साथ है और राज्य सरकारें जिनती भी किसानों को राहत देना चाहती हैं, केंद्र सहयोग के लिए तैयार है।