वित्त आयोग की अनुशंसा बिहार हितों पर कुठाराघात

राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा है कि बिहार अपना पिछड़ापन दूर कर देश की प्रगति में योगदान करना चाहता है। विशेष दर्जे की मांग इसी सोच पर आधारित है। राज्य को विशेष दर्जा मिलने से जहां एक ओर केन्द्र प्रायोजित योजना में केन्द्रांश के प्रतिशत से वृद्धि होगी, जिससे राज्य को अपने संसाधन का उपयोग अन्य विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में करने का अवसर मिलेगा। दूसरी ओर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में छूट से निजी निवेश के प्रवाह को गति मिलेगी। इससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा, राज्य के इस हक की लड़ाई के रास्ते को भी बंद कर रही है। श्री त्रिपाठी बुधवार को यहां विधानमंडल के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित कर रहे थे।
बजट सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विश्वासमत पेश करने के पूर्व अपने अभिभाषण में राज्यपाल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने आम बजट में बिहार और पश्चिम बंगाल को आंध्र प्रदेश की तर्ज पर विशेष सहायता देने का प्रस्ताव किया है। यहां के लोगों और बिहार सरकार की केन्द्र से अपेक्षा है कि बिहार को जो विशेष सहायता मिल रही थी, वह मिलती रहे। 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें एवं केन्द्रीय बजट के कारण कुल अंतरण में कमी और इससे हर साल होने वाली आनुपातिक वृद्धि की परिणामी कमी की भरपाई बिहार को अलग से सहायता देकर की जाए। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सभी लोगों को एकजुट होना होगा।
अपने 24 पन्ने के अभिभाषण के अंत में राज्यपाल ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं का विस्तार से जिक्र किया। कहा कि राज्यों के बीच राशि के बंटवारे के लिए जिन संकेतकों को अधिमानता दी गई, उससे बिहार का हिस्सा 13वें आयोग के 10.92 प्रतिशत से घटकर 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा में 9.665 रह गई है। यह बहुत बड़ी कटौती है। इसी कारण विभिन्न प्रक्षेत्रों के लिए केन्द्र द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता में काफी कटौती हो रही है।
त्रिपाठी ने कहा कि इस वर्ष के बजट में केन्द्र सरकार ने राज्य योजना के तहत चलने वाली अधिकांश योजनाओं को बंद कर दिया है। साथ ही अधिकांश केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के बजट को काफी घटा दिया है। इन कटौतियों से 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा काल में आज के अनुमान पर बिहार को कुल प्राप्तियों में 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि की कमी होगी। राज्य को कुछ विशेष सहायता पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत दी जा रही थी। इसमें वर्तमान वित्तीय वर्ष में कटौती कर दी गई है और अगले वित्तीय वर्ष से इस योजना को बंद कर दिया गया है। इससे बिहार को मिल रही विशेष सहायता की समाप्ति की आशंका पैदा हो गई है। 
अपने 1 घंटा 8 मिनट के अभिभाषण में महामहिम ने सरकार की उपलब्धियों और भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा रखी। कहा कि इससे साफ है कि सरकार न्याय के साथ विकास के मूलमंत्र को केन्द्र में रखते हुए राज्य के नागरिकों, क्षेत्रों और सभी वर्गों के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत है। राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव एवं सामाजिक समरसता का जो माहौल है, उसे कायम रखना है। राज्य की जनता के विश्वास पर खरा उतरने के लिए राज्य सरकार कठिन परिश्रम कर रही है।
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