कोलकाता: राज्य में कोरोना संक्रमण की मौजूदा तस्वीर चिंताजनक मोड़ ले रही है। अब तक माना जाता था कि कोरोना वायरस से बच्चे अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं, लेकिन ताज़ा आंकड़े इस धारणा को बदलते दिख रहे हैं। स्वास्थ्य भवन के अनुसार, वर्ष 2025 की एक जनवरी से नौ जून तक पश्चिम बंगाल में कुल 747 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं। इनमें से 61 प्रतिशत मरीज 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, जबकि दूसरी सबसे बड़ी प्रभावित श्रेणी बच्चे हैं।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, संक्रमितों में 22 प्रतिशत की उम्र तीन महीने से 15 साल के बीच है। वहीं, 48 से 60 वर्ष के बीच के मरीजों की संख्या सात प्रतिशत रही। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इस बार की लहर में बच्चों के बीच संक्रमण का ग्राफ पहले से कहीं अधिक बढ़ा है, जो महामारी के पहले तीन चरणों में कभी नहीं देखा गया था।
स्वास्थ्य भवन के अनुसार, इस साल कोरोना संक्रमित होकर अस्पतालों में भर्ती हुए मरीजों में 78 प्रतिशत बुजुर्ग हैं, लेकिन अब तीन महीने से 15 साल तक के बच्चों में भी गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं। अस्पताल में भर्ती बच्चों की संख्या इस साल सात प्रतिशत तक पहुंच गई है।
पिछले तीन सप्ताह में कोलकाता के फुलबागान, ढाकुरिया, सॉल्टलेक जैसे इलाकों के निजी अस्पतालों से लेकर सरकारी कोलकाता मेडिकल कॉलेज तक कई संस्थानों में बच्चों को कोरोना के इलाज के लिए भर्ती किया गया है। इनमें नवजात तक शामिल हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती बच्चों की संख्या से लगभग 10 गुना अधिक संक्रमित बच्चे घर पर ही रहकर ठीक हो रहे हैं।
ओमिक्रॉन की नई उपप्रजातियां बना रही हैं बच्चों को निशाना
मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरिंदम दास का कहना है कि "2022 में ओमिक्रॉन वेरिएंट आने के बाद से बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले धीरे-धीरे बढ़ने लगे थे। समय के साथ यह प्रवृत्ति अब और तेज हो गई है।" विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना की मौजूदा लहर के लिए ओमिक्रॉन की उपप्रजाति जेएन.1 और उसकी अगली पीढ़ियां — एलएफ.7, एनबी.1.8.1 और एक्सएफ़जी — जिम्मेदार हैं।
इन वायरसों में मौजूद स्पाइक प्रोटीन में जीन म्यूटेशन की वजह से ये न केवल संक्रमण की दर को बढ़ा रहे हैं, बल्कि शरीर की इम्युनिटी को भी चकमा देने में सक्षम हो गए हैं। इसी वजह से छोटे बच्चे भी अब वायरस की चपेट में आ रहे हैं।
शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. पायल चौधुरी का कहना है कि “कोरोना वायरस अब पहले से अधिक संक्रामक हो गया है क्योंकि यह शरीर की इम्युनिटी को आसानी से धोखा दे रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि संक्रमित बच्चे अधिकांश मामलों में कुछ ही दिनों में ठीक हो जा रहे हैं।”
विशेषज्ञों की सलाह है कि अगर बच्चे को दो दिनों से ज्यादा बुखार, गंभीर उल्टी या डायरिया हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर की सलाह पर ही कोरोना टेस्ट करवाना चाहिए।
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